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मेजर ध्यान चन्द के जन्म दिवस को खेल दिवस के रूप में मनाया गया




आनंद गुप्ता 

पलिया कला खीरी :विद्या भारती विद्यालय सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज पलिया कलां खीरी में विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं करवाई गईं। विभिन्न खेल जैसे:-  खो - खो, घर बदलो, खो पो, चन्दन, लंगड़ी कबड्डी, संगठन में शक्ति है, चक्र सुदर्शन, खड़ी खो आदि खेल प्रतियोगिताएं कराई गई। 


आचार्य चन्द्रेश्वर जी ने हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचन्द जी के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उनके जीवन की महत्त्वपूर्ण घटना नीदरलैण्ड में खेले गए मैच का जिक्र करते हुए कहा कि शक होने पर ध्यान चन्द जी की हाकी को तोड़ दिया गया। 


परन्तु उनकी हाकी में कुछ नहीं निकला सभी हतप्रभ थे। पिता समेश्वर एवं माता शारदा के घर प्रयागराज की पुण्य भूमि पर आज ही के दिन  29 अगस्त 1905 को जन्मे ध्यान चन्द एवं उनके भाई रूप सिंह भी खेल में रुचि रखते थे। 


अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ाई पूरी करके ब्रिटिश आर्मी ज्वाइन की। हाकी के खेल से प्रभावित होकर जर्मनी के रुडोल्फ हिटलर ने जर्मनी के लिए खेलने की पेशकश की। 


परन्तु इस देश भक्त ने उनकी यह अपेक्षा पूरी नहीं की। हमेशा अपने राष्ट्र के लिए खेलने वाले ध्यानचन्द जी कहते थे कि यह कभी मत कहो की देश ने मेरे लिए क्या किया यह संकल्प करो कि मैं देश के लिए क्या कर सकता हूं। 


03 दिसंबर 1979 को तीन बार हाकी में स्वर्ण पदक जीतने वाले एवं देश के तृतीय सर्वोच्च पुरस्कार पद्म विभूषण से विभूषित मां भारती के इस वरद पुत्र ने इहलोक से बिदा ले ली।

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