रजनीश / ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। घाघरा नदी में आए उफान के बाद मंगलवार की सुबह से नदी का जलस्तर तो घटने लगा मगर नदी कटान तेज कर दी है।
गोंडा बाराबंकी जिले के सरहद की सैकड़ों बीघे जमीन घाघरा नदी में समा चुकी है। उधर, कटान के चलते नदी से सटे दर्जन भर गांवों के कई घर पानी से जलमग्न हो गए हैं। वहीं जल का फैलाव होने से कई गांव के मार्ग पर पानी भर गया है।
नेपाल से छोड़े जा रहे पानी से कभी घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ जा रहा है तो कभी जलस्तर कम होने से नदी की जबरदस्त कटान शुरू हो जाती है।
नदी का पानी खेती योग्य जमीन को काटता हुआ अन्य गांवों की ओर बढ़ रहा है। इससे यहां के लोगों में हड़कंप मचने के साथ ही पलायन तेज हो गया है।
जलस्तर पर एक नजर
घाघरा नदी का जलस्तर जहां सोमवार तक लगातार बढ़ रहा था। वहीं, मंगलवार की सुबह से जलस्तर घटने लगा हैं।
केंद्रीय जल आयोग के गेज के मुताबिक घाघरा नदी में गिरिजा, शारदा व सरयू तीनों बैराजों से छोड़े गए कुल 2 लाख 96 हजार 813 क्यूसेक डिस्चार्ज से मंगलवार की शाम नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 66 सेंटीमीटर ऊपर था।
बाढ़ के पानी से ये गांव हुए प्रभावित
घाघरा नदी में बढ़े जलस्तर व लगातार चार दिन हुई बारिश के पानी से जिले की सीमा पर मौजूद गांव माझा रायपुर, नउवनपुरवा, परसावल, नेपुरा, कमियार गांव में पानी की दस्तक हो गई थी।
जिससे ये गांव जलमग्न हो गए और लगभग पूरे गांव के सभी घरों में पानी भर चुका है। इसी तरह गोंडा जिले के नकहरा गांव के 10 मजरों में पूरी तरफ बाढ़ का पानी घुस गया है। जिसमें राधे पुरवा, तीरथ राम पुरवा, पुहिन पुरवा, बसंत लाल पुरवा, मछारन पुरवा, संभर पुरवा, छंगूलाल पुरवा, देवकिशन पुरवा, खाले पुरवा एवं दुलारे पुरवा शामिल हैं। यह सभी गांव जलमग्न हो चुके हैं और करीब 2 फीट पानी गांव में भरा हुआ है।
राहत कार्य में जुटा तहसील प्रशासन
बाढ़ से प्रभावित इलाकों में उप जिलाधिकारी हीरालाल व तहसीलदार नर्सिंग नरायन वर्मा राजस्व कर्मियों के साथ लगातार राहत कार्य में जुटे हैं। मंगलवार को भी एसडीएम व तहसीलदार ने बाढ़ क्षेत्र का निरीक्षण किया और गांव में नाव की व्यवस्था के साथ राशन व त्रिपाल वितरण किया।