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गोण्डा:नगर पालिका की जांच के बाद अध्यक्ष समेत कर्मियों पर लटकने लगी कार्यवाही की तलवार



रजनीश / ज्ञान प्रकाश 

करनैलगंज(गोंडा)। नगर पालिका करनैलगंज के खिलाफ हुई जांच के बाद अब अध्यक्ष समेत पालिका कर्मियों के पर शासन स्तर से कार्रवाई की तलवार लटकने लगी है। नगर पालिका परिषद में तमाम अनियमितता व गड़बड़ी की शिकायत शासन स्तर पर होने के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिलाधिकारी द्वारा तीन अधिकारियों की टीम गठित कर 15 दिनों तक कराई गई। 


तमाम गड़बड़ियां मिलने के बावजूद अब तक जांच रिपोर्ट को संज्ञान में नहीं लिया गया। करनैलगंज नगर पालिका परिषद अनिल गुप्ता द्वारा मुख्यमंत्री से नगर पालिका परिषद में तमाम अनियमितता किए जाने शिकायत की गई थी। 


जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा संदर्भ ले लिए जाने के बाद जिलाधिकारी डॉ. उज्जवल कुमार ने 16 जुलाई को उप जिलाधिकारी करनैलगंज, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग गोंडा, खंड विकास अधिकारी करनैलगंज की त्रिस्तरीय जांच कमेटी का गठन करके 15 दिवस के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। 


जिस पर तीनों अधिकारियों की जांच 2 सप्ताह तक चली। जांच में तमाम अनियमितता पाई गई। जिसकी रिपोर्ट बनाकर जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को भेज दी गई। जांच में नगर पालिका द्वारा 27 बड़े विकास कार्य दिखाए गए हैं। 


जिनकी लागत करीब 3 करोड़ 10 लाख रुपए है इन कार्यों को केवल दो ठेकेदारों द्वारा कराया जाना पाया गया। इसके अलावा तमाम ऐसे कार्य कराए गए जिनकी निविदा ऐसे अखबारों में प्रकाशित कराई गई जो जन सामान्य को पढ़ने के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं। 


कई विकास कार्य ऐसे हैं जो अनुबंध की शर्त का उल्लंघन करके कराए गए। पालिका के पास सफाई कर्मी होने के बावजूद करीब 9 लाख रुपये से नाला सफाई दिखाया गया। 


जांच रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि नगर पालिका परिषद के कार्यवाही प्रस्ताव रजिस्टर का अवलोकन किया गया जिसमें करीब डेढ़ दर्जन तारीखें ऐसी है जिसमें बोर्ड द्वारा कार्य कराए जाने से संबंधित प्रस्ताव पारित किए गए हैं। 


प्रस्ताव पंजिका नगर पालिका परिषद में कार्य कराने का महत्वपूर्ण अभिलेख है। नगर पालिका परिषद के बोर्ड की बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों को प्रस्तावित कार्यों की जानकारी होना आवश्यक है। 


प्रस्ताव रजिस्टर पर अध्यक्ष के साथ-साथ समस्त उपस्थित सभासदों के हस्ताक्षर होना अनिवार्य है। परंतु प्रस्ताव रजिस्टर व कार्रवाई रजिस्टर पर किसी भी तरह के हस्ताक्षर नहीं कराए गए। 


इसके लिए एक अलग रजिस्टर बनाया गया है जिस पर हस्ताक्षर कराया गया। जिससे शिकायतकर्ता द्वारा की गई शिकायत की पुष्टि होती है और इसे गंभीर अनियमितता माना जा रहा है। 


जांच टीम ने 30 जुलाई को जांच करके रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेज दिया। जो अब शासन में पहुंच चुकी है। जांच टीम के अधिकारी उप जिलाधिकारी हीरालाल से इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि जांच करने के निर्देश दिए गए थे जांच करके रिपोर्ट भेज दी गई है आगे की कोई जानकारी नहीं है। 


नगर पालिका की ईओ प्रियंका मिश्रा बताती हैं कि जांच रिपोर्ट में जो त्रुटियां दर्शाई गई है। उनके सम्बन्ध में स्पस्टीकरण व जबाब जिलाधिकारी को भेज दिया गया है।

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