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बिना चश्में के मेरी मां मुझे पहचान लेती है...



कुलदीप तिवारी 

लालगंज, प्रतापगढ़। नगर के अझारा स्थित भागवतदत्त महाविद्यालय में बुधवार की रात कवि सम्मेलन व मुशायरे मे गजल, शेरोशायरी, मुक्तक, छन्द तथा हास परिहास के साथ ओज की रचनाओं ने साहित्य को एक मजबूत मुकाम पर ला खडा किया। 


काव्य संगम के बैनरतले पंाचवें कवि सम्मेलन व मुशायरे में मौसम की खराबी के बावजूद श्रोताओं की दाद ने स्थानीय एवं अतिथि कवियों को एक से बढकर एक रचना पढने व सुनाने का गजब का उत्साह भरा। कवियों तथा शायरों की देश व समाज तथा संस्कृति पर सार्थक प्रस्तुतियों का माहौल इस कदर खुशनुमा दिखा कि लगा कि बीच बीच में बारिश की फुहारें भी मंद-मंद काव्य संगम में गोते लगाने को खुद भी आहट देती दिखी। 


कवि सम्मेलन का शुभारंभ ब्लाक प्रमुख अमित प्रताप सिंह पंकज व समाजसेवी प्रकाशचंद्र मिश्र ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया। 


वहीं बतौर मुख्य अतिथि चेयरपर्सन प्रतिनिधि संतोष द्विवेदी ने अतिथ साहित्यकारों व समाजविदो को आयोजन समिति की ओर से अंगवस्त्रम तथा माल्यार्पण कर सम्मानित किया। 


जानी मानी कवयित्री मीरा तिवारी ने मां सरस्वती की आराधना में वीणा मधुर बजा दो को सुर दिया तो ओपेन हाल मे श्रोताओं के हाथ खुल गये। कवि सम्मेलन का यह पांचवा आयोजन हास्य व्यंग के मशहूर कवि अखिलेश द्विवेदी दादा ने अध्यक्षीय काव्य पाठ में अपने नाम सफलता का नवल मापदण्ड भी रचा। 


आयोजक कवि एवं सुप्रसिद्ध रचनाकार अनूप प्रतापगढ़ी ने माटी को नमन करते हुए पढ़ा-ये मिट्टी नही खुशी है मेरी, लगे सबसे प्यारा अझारा मुझे पर स्थानीयता का प्रेम सिर चढ़कर बोला। 


संचालक कवि एवं जाने माने शायर डा. दीपक रूहानी भी श्रोताओं को जमकर पसंद आये। डा. रूहानी ने पढ़ा-खुदा भी देख लीजिए किससे किससे काम लेता है, हवा जब चलती है तो पत्ता पत्ता नाम लेता है। 


अवधी के देश दुनिया में जाने माने हस्ताक्षर डा. अनुज नागेन्द्र ने राष्ट्रीयता के जोश को आवाज दी- जहां मे नाम हिन्दुस्तान का ऊंचा रहे हरदम पर वन्देमातरम् का सुर भी आयोजन स्थली पर जोश में गूंज उठा। अनुज नागेन्द्र की अवधी रचना भी श्रोताओं के दिल में उतर गयी दिखी। 


ओज के सुविख्यात् कवि अंजनी अमोघ की पंक्तियां जब जाऊं इस धरा से तिरंगे मे लिपटा मेरा तन मिले को भी जमकर समर्थन हासिल हुआ दिखा। 


गजलकार शिवम हाथगामी ने जब पढ़ा- बिना चश्में के मेरी मां मुझे पहचान लेती है पर पूरा कवि सम्मेलन तालियों की गडगडाहट मे सफलता के मुकाम पर आ पहुंचा। वहीं ओज कवि अतुल बाजपेयी का मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम का अलौकिक महिमा गान सुन लोगों की जुबां पर श्रीराम का जयकारा भी तैर उठा। 


कवयित्री मीरा तिवारी, डा. केसरी शुक्ल की पंक्तियां भी श्रोताओं में खूब पसन्द आयी दिखी। आभार प्रदर्शन अभय दुबे ने किया। 


कार्यक्रम में समाजसेवी प्रकाशचंद्र मिश्र, संयुक्त अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी महेश, भगवताचार्य पं. विनय शुक्ल, राजा शुक्ला, राजेन्द्र द्विवेदी, प्रियम मिश्र, प्रीतेन्द्र ओझा, मंगलेश सिंह, सर्वेश मिश्र, शास्त्री सौरभ को विशेष सम्मान से नवाजा गया। 


आयोजन का समापन राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी के मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने किया। इस मौके पर वीरेश सिंह, पवन प्रखर, मंटू पाण्डेय, जयप्रकाश पाण्डेय, ललित तिवारी, श्यामजी आदि रहे।

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