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बस्ती:पर्यावरण संरक्षण प्रत्येक नागरिक का प्रमुख कर्तव्य



सुनील उपाध्याय 

बस्ती : पर्यावरण संरक्षण प्रत्येक नागरिक का प्रमुख कर्तव्य है। विकास कार्यक्रमों के साथ पर्यावरण संरक्षण को बढावा देने के उपाय करने होंगे ताकि नयी पीढी को हम स्वच्छ एवं स्वस्थ वातावरण दे सके। 


उक्त विचार मा. सदस्य जज, नेशनल ग्रीन ट्रिबुनल (एनजीटी) प्रिंसिपल ब्रान्च, नई दिल्ली, डा० अफरोज अहमद ने व्यक्त किया। 


वे सर्किट हाउस सभागार में अधिकारियों की समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि एन.जी.टी. द्वारा समय-समय पर पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आदेश जारी किए जाते है। 


नदी प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण करने वालों के विरूद्ध जुर्माना भी लगाया जाता है। स्थानीय प्रशासन आदेशों के अनुरूप अनुपालन सुनिश्चित करें।  


 उन्होने कहा कि सबसे पहले नागरिको को पर्यावरण संरक्षण के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए तथा इसके संरक्षण के उपायों पर समय-समय पर उनसे चर्चा की जानी चाहिए। 


उन्होने कहा कि प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि नदी में किसी प्रकार का विषैला पदार्थ न छोड़ा जाय। ध्वनि 40 डिसिबल से अधिक ना होने पाये। 


नगर निकाय तथा ग्राम पंचायतों में सालिड एवं लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था की जाय। प्लास्टिक बैन आदेश पर प्रभावी कार्यवाही की जाय। 


 उन्होने कहा कि प्रत्येक शहर में बायोमेडिकल, एलेक्ट्रानिक्स वेस्ट मैनेजमेंट के लिए भी व्यवस्था करायी जाय। बड़े जलाशयों को चिन्हित करके वेटलैण्ड घोषित कराया जाय। 


उन्होने बताया कि प्रदेश में पहले केवल दो ही वेटलैण्ड घोषित थे, अब लगभग 10 हो गये है। उन्होने कहा कि प्राकृतिक एंव आर्गेनिक खेती को बढावा दिया जाय। 


उन्होने बताया कि एन.जी.टी. द्वारा कम्युनिटी रेडियों को बढावा दिया जा रहा है ताकि लोगों को स्थानीय भाषा में पर्यावरण एवं अन्य जानकारी दी जा सकें।


 सदस्य महोदय ने निर्देश दिया है कि वन विभाग सामाजिक वानिकी के अतिरिक्त कृषि वानिकी को बढावा दें। कृषि विज्ञान केन्द्रों से समन्वय करके पर्यावरण संरक्षण के उपायों को अमल में लाया जाय। 


नगरीय तथा ग्रामीण क्षेत्रों में सालिड एवं लिक्विड वेस्ट अलग करके वर्मी कम्पोस्ट तैयार की जाय। चीनी मिलों तथा बड़े उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण संयत्र अनिवार्य रूप से लगवाया जाय। प्लास्टिक बैन होने की दशा में कागज के लिफाफे एवं डिब्बे को बढावा दिया जाय। 


उन्होने यह भी निर्देश दिया कि ग्राम पंचायतों में पेड़, पौधों की नर्सरी स्थापित करायी जाय।  


 जिलाधिकारी श्रीमती प्रियंका निरंजन ने बताया कि जिले की प्रमुख मनोरमा नदी की सफाई के लिए सर्वे कराकर परियोजना तैयार की गयी है। पुलिस अधीक्षक आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि शासन के निर्देश पर ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिए लाउडस्पीकर उतरवाया गया है। 


एसडीओ फारेस्ट ए.के. पाण्डेय ने बताया कि जिला पर्यावरण योजना तैयार कर ली गयी है। जिले के ग्रामों में कुल 26 नर्सरी स्थापित है।


       ईओ नगरपालिका बस्ती दुर्गेश्वर त्रिपाठी ने बताया कि नगरपालिका क्षेत्र की आबादी लगभग 1.25 लाख है तथा यहॉ से 25 टन वेस्ट प्रतिदिन निकलता है। 


ग्रामीण स्वच्छता मिशन के जिला प्रबन्धक राजाशेर सिंह ने बताया कि 05 हजार से अधिक आबादी के 13 ग्राम पंचायतों में सालिड एंव लिक्विड वेस्ट अलग-अलग कराया जाता है। 


मत्स्य के संदीप वर्मा ने बताया कि पिछले वर्ष निजी क्षेत्र के 60 तालाबों में मत्स्य पालन शुरू कराया गया है। 

       

बैठक में सीडीओ डा. राजेश कुमार प्रजापति ने सभी का स्वागत किया। उन्होने बताया कि महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से मनरेगा के अन्तर्गत नर्सरी स्थापित करायी जा रही है। 


इस अवसर पर जिला पूर्ति अधिकारी सत्यवीर सिंह, अर्थ एवं संख्याधिकारी मो0 सादुल्ला, जलनिगम, पशुपालन, पीडब्ल्यूडी, भूगर्भ जल, प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारी उपस्थित रहें। 

    

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