कबीरदास के विचार आज भी प्रासंगिक व अनुकरणीय हैं: असंगदेव महराज | CRIME JUNCTION कबीरदास के विचार आज भी प्रासंगिक व अनुकरणीय हैं: असंगदेव महराज
Type Here to Get Search Results !

Action Movies

Bottom Ad

कबीरदास के विचार आज भी प्रासंगिक व अनुकरणीय हैं: असंगदेव महराज



वासुदेव यादव 

अयाेध्या। संत कबीर के किसी बात में हिंसा नही है। एक बार अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा था कि अगर किसी काे सुख पाने की इच्छा हाे। ताे सुख कैसे मिलेगा। 


आज साधु-संयासी, गृहस्थ सुख ढूढ़ रहे हैं। सभी बचपन से बुढ़ापे तक सुख ही सुख ढूढ़ते हैं। ढूढ़ते-ढूढ़ते उनका जीवन बीत जाता है। लेकिन सुख नही मिलता है। 


उक्त सारगर्भित उद्गार राष्ट्रीय संत असंग देव महाराज ने व्यक्त किए। वे श्रीरामवल्लभाकुंज जानकीघाट प्रांगण में चल रहे अमृतमयी  सुखद सत्संग कथा के चतुर्थ दिवस श्रद्धालुओं को रसपान करा रहे थे। 


उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में जितनी भी भाैतिक उपलब्धियां हैं। वह सिर्फ जीवन निर्वाह करने के लिए सरलता प्रदान करते हैं। लेकिन सुख न वस्तुओं से, न मकान और न गाड़ी से है।


सुख काे शरीर, मन व आत्म तीन भागाें में बांटा गया है।  यदि मन काे सुख चाहिए। ताे विवेकवान बनें। आत्मा की शांति के लिए श्रद्धावान बनाे। 


श्रद्धावान काे आत्म शांति मिलती है। शब्द हमें सुख और दुख देते हैं। संत कबीर कहते हैं कि शब्द बहुत बड़ी चीज है। जिन्हाेंने शब्द पर विवेक किया एवं विवेक शब्द बाेले। ताे उनका सब कार्य पूर्ण हाे जाता है। 


जिनकाे शब्द की साधना करना आ गया। वह बहुत आगे जाते हैं। राष्ट्रीय संत ने कहा कि भले ही हमारे घर छाेटे हाें। लेकिन हमारा दिल बड़ा हाेना चाहिए। 


जब तक मनुष्य दूसरे की संवेदना व दर्द काे नही समझता। दूसरे के भावाें काे नही पढ़ता है। तब तक उसका कल्याण संभव नही है। एक दिन सभी काे वृद्ध  हाेना है। अपने बुजुर्गों का आदर करें। जिनके घर में बुजुर्गों का आदर नही है। 


वह घर, घर नही है। घर में बुजुर्गों की ही माैजूदगी से हमारी भव-बाधाएं दूर हाेती हैं। उनका पुण्य-प्रताप हमारे लिए कवच-कुंडल का कार्य करता है। जिसके घराें में बुजुर्गों की सेवा हाेती हैं। वहां देवी-देवताओं का वास हाेता है। उस घर पर गुरुओं की विशेष कृपा हाेती है। 


उन्होंने कहा कि अपने बच्चों काे अच्छे संस्कार दें। वह खूब पढ़-लिखकर आगे बढ़े। अपने देश, प्रदेश, जिले व कुल का नाम पूरी दुनिया में राेशन करें। हृदय रूपी तराजू से पहले ताैलिए। तब अपने मुख से वाणी निकालिए। लेकिन कभी झूठ न बाेलिए। 


सदैव सत्य के मार्ग पर चलें। इस अवसर पर श्रीरामवल्लभाकुंज अधिकारी राजकुमार दास, वैदेही भवन महंत रामजी शरण, कबीर मठ जियनपुर के महंत उमाशंकर दास, कार्यक्रम प्रभारी प्रवीन साहेब, हरीश साहेब, शील साहेब, रवींद्र साहेब, वासुदेव यादव, नीरज वर्मा, निर्मल वर्मा आदि उपस्थित रहे।


 सुखद सत्संग कथा का पंडाल खचाखच श्रद्धालुओं से भरा रहा। बड़ी संख्या में भक्तगण अमृतमयी सत्संग का श्रवण कर अपना जीवन धन्य बना रहे थे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 




Below Post Ad

Comedy Movies

5/vgrid/खबरे