Basic teacher did pension post journey from Belha Shakti Peeth to Baba Belkharnath Dham
वेदव्यास त्रिपाठी
प्रतापगढ: शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली को लेकर बहुमत की पहली पसन्द यह विषय अब बन गया है! जनपद प्रतापगढ़ के नगर बेल्हा से पौराणिक शिवाला बाबा बेलखरनाथ धाम तक 15 -15 किलोमीटर की पदयात्रा काफी सुखद रही! सैकड़ो शिक्षकों, आम जनमानस एवं बुद्धिजीवियों से तीस किमी की पैदल यात्रा में मुलाकात होती है! जो पग - पग पर विश्वास, लक्ष्य और साधना को प्रोत्साहन देते हैं! यह विचार अटेवा के माण्डलिक मंत्री डा०विनोद त्रिपाठी ने महाशिवरात्रि पर्व पर बेल्हा से बेलखरनाथ पहुंचने पर पत्रकार बन्धुओं से ब्यक्त किया!आदि गंगा के तौर पर जनश्रुतियों में प्रसिद्ध सई नदी के तट पर स्थित बेल्हा देवी मंदिर से 11 वीं सदी के वर्णित बाबा बेलखरनाथ धाम तक की तीस किमी की पदयात्रा के समापन पर अपनी भावनायें पेंशन विहीनों से साझा करने की मेरी यह कोशिश है! बुढ़ापे में जब ब्यक्ति बेसहारा / अकेलापन में होता है तो उसका जीवन यापन महज सैकड़े रुपये में कैसे हो पायेगा! महज 2 से 3 हजार रुपये एनपीएस के तहत पेंशन मिलने के हजारों उदाहरण मौजूद होने के बावजूद कतिपय तर्कशास्त्री अपना ज्ञान प्रकाशित करते रहते हैं।एनपीएस पूर्णतया शेयर बाजार पर आधारित जोखिम पूर्ण योजना है! जिसकी समझ हर किसी आम नागरिक, कार्मिकों और शिक्षकों के कार्यक्षेत्र / अनुभव से परे है! जबकि आर्थिक जगत के सभी विशेषज्ञ मिलकर भी शेयर/ब्यवसाय और पेंशन की भावना को एक पैमाने पर आकलन करने की लगातार भूल भी कर रहे हैं। देश और भारतीय संविधान की दुहाई देने वाले उसी के प्रमुख मौलिक अधिकार जीवन जीने का अधिकार और समानता के अधिकार को नहीं पढना चाहते हैं! क्योंकि एनपीएस एंव ओपीएस दोनों ही कानून प्रदेश सरकार ने ही बनाया है! वेतन का 50% पेंशन की गारन्टी से ओपीएस की लोकप्रियता बरकरार है वरना भी एक आर्थिक योजना ही है! क्यों वह एक वर्ग- शासक वर्ग के अनुकूल है और कार्मिको/शिक्षकों के प्रतिकूल है!
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