Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

चीन ने दिया न्योता, लेकिन नेपाल के लिए आसान नहीं उसकी सुरक्षा पहल से जुड़ना



उमेश तिवारी

काठमांडू / नेपाल:नेपाल सरकार के सामने विदेश नीति संबंधी एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। उसे जल्द ही यह तय करना होगा कि वह चीन की नई वैश्विक सुरक्षा पहल (जीएसआई) का हिस्सा बने या नहीं। चीन ने जीएसआई का दस्तावेज इसी मंगलवार को जारी किया। उसमें सभी देशों से बदलते अंतर्राष्ट्रीय हालात के मुताबिक खुद ढालने का आह्वान किया गया है। चीन का दावा है कि जीएसआई का मकसद अंतर्राष्ट्रीय टकरावों के बुनियादी कारणों को दूर करना और दुनिया में अधिक स्थिरता लाना है।


काठमांडू स्थित चीनी दूतावास ने जीएसआई दस्तावेज की कॉपियां यहां मीडियाकर्मियों के बीच वितरित की हैं। नेपाली मीडिया के मुताबिक जीएसआई की औपचारिक घोषणा के पहले ही चीन ने नेपाल सरकार से संपर्क किया था और उससे इसका हिस्सा बनने की अपील की थी। लेकिन नेपाल सरकार ने कहा है कि उसे इस बारे में अभी और अधिक जानकारियों की जरूरत है।


अखबार काठमांडू पोस्ट ने सरकारी अधिकारियों के हवाले से कहा है कि नेपाल की नीति किसी सुरक्षा या सैन्य गठबंधन में शामिल न होने की है। पिछले साल जब नेपाल ने अमेरिकी संस्था मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन से 50 करोड़ डालर की सहायता ली थी, तभी नेपाली संसद ने इस बारे में देश की स्थिति को स्पष्ट करते हुए सर्व सम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था। ऐसी स्थिति में नेपाल सरकार के लिए जीएसआई का हिस्सा बनना कठिन है।


चीन में नेपाल के राजदूत रह चुके विष्णु पुकार श्रेष्ठ ने काठमांडू पोस्ट को बताया- ‘चीन ने अपना दस्तावेज जारी किया है। लेकिन हमने इस बारे में अपनी राय नहीं बताई है। इस मसले में व्यापक राय-मशविरे की जरूरत होगी।’ इस बीच सामने आई सूचना के मुताबिक पिछले दिसंबर में जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के एशियाई मामलों के प्रभारी लिउ जिनसोंग नेपाल आए थे, तभी उन्होंने नेपाल सरकार को प्रस्तावित जीएसआई की जानकारी देते हुए नेपाल से उसका हिस्सा बनने का अनुरोध किया था।


विश्लेषकों के मुताबिक एशिया में तेज हो रही भू-राजनीतिक होड़ की गरमी अब नेपाल सरकार को महसूस हो रही है। इस बीच सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि वर्तमान पुष्प कमल दहाल सरकार पिछली सरकारों के दौरान तय हुई नीति के अनुरूप ही चलेगी। इसका अर्थ है कि वह जीएसआई में शामिल होने के चीन के अनुरोध को ठुकरा देगी।


कई सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा है कि ऐसा करना ही सही नीति होगी। नेपाली सेना के पूर्व मेजर जनरल पूर्ण सिलवाल ने कहा है कि या तो नेपाल को सभी देशों की सुरक्षा और सैनिक पहल का हिस्सा बनने के लिए तैयार होना चाहिए, या फिर उसे किसी का हिस्सा नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीएसआई का हिस्सा बनने से नेपाल उन देशों के साथ अच्छे रिश्ते नहीं रख पाएगा, जिनके चीन से अच्छे रिश्ते नहीं हैं। उनका इशारा संभवतः भारत की ओर था।


इस बारे में एक सवाल पर नेपाल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सेवा लामसाल ने कहा- ‘मोटे तौर पर हमारी नीति किसी सुरक्षा पहल में शामिल ना होने की है। हमें ऐसे मामलों में औपचारिक निर्णय लेने की जरूरत है, ताकि भविष्य में कोई भ्रम ना पैदा हो।

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 

Below Post Ad

5/vgrid/खबरे