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अहंकार दूसरों का सुखदुख नहीं समझता: पंडित सुनिधि देव मिश्रा



रजनीश / ज्ञान प्रकाश 

करनैलगंज(गोंडा)। करनैलगंज क्षेत्र के ग्राम अहिरौरा चौराहे पर  चल रहे श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ  सप्ताह में कथा प्रवक्ता पंडित सुनिधि देव मिश्रा ने कहा कि परिवार हो या समाज सभी को एक साथ लेकर चलने की आदत डालनी चाहिए उसी का नाम इंसानियत है। परायों को अपना बनाना आसान है मगर अपनों को अपना बनाये रखना सबसे मुश्किल काम है। आज हमने आत्मनिर्भर भाषा को छोडकर परनिर्भर भाषा का प्रयोग करना कैसे सीख लिया है। परनिर्भर भाषा अहंकार की है, आत्मनिर्भर भाषा समझदार की है। वह दूसरों के सुखदुख को समझती है।

अहंकार दूसरों का सुखदुख नहीं समझता, उसके लिए तो उसीके सुखदुख सर्वोच्च महत्वपूर्ण है।

परायों को अपना बनाना आसान है यह बड़ी ताकत है। परायों को ही अपना बनाने की जरूरत है बाकी अपने तो अपने हैं जिन्हें संजोने की विशेष जरूरत है। इंसान को सभी के साथ वही व्यवहार करना चाहिए जो अपने प्रति होने वाले व्यवहार में अच्छा लगता हो। कथा के दौरान रामदीन कसौधन, दीपू कसौधन, सुनील कुमार, चंदन, राम राज वर्मा, आकाश कुमार, पुजारी प्रसाद, हरि कुमार, काशीनाथ सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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