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शैक्षिक एवं सामाजिक उत्थान में प्रो. गिरिजाशंकर शुक्ल का विचार दर्शन अप्रतिम::एसडीएम



कुलदीप तिवारी 

लालगंज प्रतापगढ़। स्थानीय तहसील सभागार में बुधवार को शिक्षाविद् एवं समाजसेवी प्रो. गिरिजाशंकर शुक्ल की 83वीं जयंती समारोहपूर्वक मनायी गयी। वह नगर स्थित बहुगुणा पीजी कालेज में हिन्दी विभागाध्यक्ष तथा महाविद्यालय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष भी थे। संयुक्त अधिवक्ता संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ एसडीएम उदयभान सिंह व तहसीलदार धीरेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा प्रो. शुक्ल के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एसडीएम उदयभान सिंह ने कहा कि शिक्षा समाज की सबसे बडी पूंजी हुआ करती है। उन्होनें कहा कि प्रो. शुक्ल जैसे मनीषियों ने शिक्षा की गुणवत्ता तथा मेधावियो के सुदृढ़ भविष्य निर्माण में प्रेरणास्पद चिंतन दे रखा है। उन्होनें प्रो. गिरिजाशंकर शुक्ल के द्वारा हिन्दी साहित्य तथा संस्कृत के पुनरोत्थान में दिये गये योगदान को अनुकरणीय ठहराया। विशिष्ट अतिथि तहसीलदार धीरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि शिक्षित समाज ही देश के बहुमुखी विकास का स्तम्भ हुआ करता है। उन्होनें भी उच्च शिक्षा के क्षेत्र मे हिन्दी विद्वान प्रो. शुक्ल के कृतित्व व व्यक्तित्व को नई पीढ़ी के लिए अनुकरणीय ठहराया। तहसीलदार न्यायिक सुप्रिया चतुर्वेदी ने भी हिन्दी साहित्य के उत्तरोत्तर विकास में प्रो. शुक्ल जैसे विद्वानों की महती भूमिका को स्मरणीय कहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संयुक्त अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी महेश ने भी लालगंज अंचल मे शैक्षिक माहौल की प्रारंभिक मजबूती में गिरिजाशंकर शुक्ल के सामाजिक योगदान को अतुलनीय कहा। प्रारम्भ मे प्रो. शुक्ल के ज्येष्ठ सुपुत्र व लखनऊ विश्वविद्यालय के रक्षा अध्ययन विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. ओमप्रकाश शुक्ल ने अतिथियों का स्वागत व कनिष्ठ पुत्र एवं रूरल बार के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने आभार जताया। समारोह का संचालन राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामलोचन त्रिपाठी ने किया। पूर्व अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के संयोजक बेनीलाल शुक्ल ने प्रो. शुक्ल के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला। समारोह को पूर्व अध्यक्ष केबी सिंह, आचार्य राजेश मिश्र, शासकीय अधिवक्ता शिवाकांत शुक्ल, धीरेन्द्र शुक्ल, अनूप पाण्डेय, दीपेन्द्र तिवारी, टीपी यादव, शैलेन्द्र सिंह, राजेन्द्र मिश्र, रामलगन यादव, शिव नारायण शुक्ल आदि रहे।

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