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जलवायु परिवर्तन को रोकने में सहायक है महुआ का वृक्ष: अजय क्रांतिकारी



वेदव्यास त्रिपाठी 

प्रतापगढ़ पर्यावरण सेना 'महुआ वृक्ष संरक्षण अभियान' चलाकर ग्रामीणों को महुआ वृक्ष संरक्षण हेतु जागरुक कर रही है।महुआ वृक्ष ग्रामीणों के लिए आजीविका के साधन होने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण करते हुए जलवायु परिवर्तन को रोकने का काम करते हैं।जहां महुआ के ज्यादा पेड़ रहते हैं वहां गरमी का असर कम होता है।महुआ के एक पेड़ की कीमत इस समय 20 हजार से 80 हजार रूपए होती है।एक महुआ के पेड़ से सीजन में लगभग दो कुंतल फूल प्राप्त होते हैं।जिससे महुआ को पीला सोना कहा जाता है।इस समय वन अपराध के चलते महुआ के वृक्षों का जीवन संकट में पड़ गया है।अत्यधिक कटान के चलते महुआ विलुप्त प्रजाति की श्रेणी में आ गया है।पर्यावरण सेना प्रमुख अजय क्रांतिकारी ने बताया कि महुआ एक प्राकृतिक रूप से तैयार होने वाला वृक्ष है।पौधरोपण से इसके वृक्ष कम ही बनते है।महुआ के फूल पौष्टिक होने के कारण पोषण के लिए उपयोगी होते हैं।गठिया जैसे अन्य रोग से मुक्ति के लिए महुआ के फूल और फलों का सेवन किया जाता है।महुआ के पत्तों से प्लास्टिक का विकल्प हरे पत्तलों का निर्माण कर एक विशेष जाति परंपरागत तरीके से अपना जीवन निर्वाह भी करती है।

पर्यावरण सेना प्रमुख अजय क्रांतिकारी ने कहा कि महुआ वृक्ष हमारे पर्यावरण और गरीबों के लिए वरदान है।हमें हर हाल में इनका संरक्षण करते हुए प्राकृतिक रूप से इनका संवर्धन करना होगा, नहीं तो आने वाली पीढ़ियां महुआ को सिर्फ किताबों में ही पढ़ पाएंगी।इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण सेना प्रमुख अजय क्रांतिकारी के नेतृत्व में आज शिवगढ़ ब्लॉक के परमा का पूरा ग्राम में ग्रामीणों के साथ महुआ के संरक्षण हेतु उन्हें जागरुक करते हुए उन्हें महुआ संरक्षण का संकल्प दिलाया गया।

इस मौके पर गिरीश मिश्र, सुरेश मिश्र,अंकित मिश्र और पिंकू मिश्र आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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