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जब जब होही धर्म कै हानी, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी



अखिलेश्वर तिवारी 

जनपद बलरामपुर में वर्ष प्रतिपदा विक्रम संवत् 2080 युगाब्द 5125 के शुभारम्भ एवं चैत्र नवरात्रि के तृतीय पावन दिन श्री मुक्तेस्वरनाथ महादेव मंदिर, ग्राम जनकपुर, तुलसीपुर में प्रभु श्री राम कथा का शुभारंभ श्री व्यासपीठ की विधिवत पूजा पाठ कर हुआ, कथा में अतिथि के रूप में केशव कुमार पुलिस अधीक्षक बलरामपुर, राघवेन्द्र सिंह जी (सी ओ) तुलसीपुर एवं अनिल जी, जिला प्रचारक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ उपस्थित हुए । शिवम मिश्र एवं संत सर्वेश महराज द्वारा मां पाटेश्वरी की प्रतिमा एवं माता की चुनरी प्रसाद स्वरूप भेट किया गया, हजारों की संख्या में भक्तों ने कथा का अमृत पान किया एवं कथा उपरांत आरती कर आज की कथा का समापन हुआ । इसी क्रम में नेपाल देश से आए बाबा पीर रत्न नाथ यात्रा में सैकड़ों साधु संतो को भोजन प्रसाद कराया गया । उसके बाद सभी श्रद्धालुओं ने भोजन प्रसाद पंडाल में प्रसाद पाया। तीसरे दिन की कथा मे संत सर्वेश जी महाराज ने कहा कि जब जब होय धर्म के हानि, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी ।। तब तब धर प्रभु विविध शरीरा, हरहि कृपानिधि सज्जन  पीरा ।। जब जब पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ता है साधु-संतों विप्र भक्त सताए जाते हैं तब-तब भगवान अनेक रूपों में अवतार लेकर और आसुरी शक्तियों को प्राप्त कर धर्म की स्थापना कर स्वयं धरा पर आते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का अवतार रावण कुंभकरण को मारने के लिए तो हुआ ही था साथ ही जो और भी आसुरी शक्तियां थी चाहे वह सुबाहु हो चाहे वह मारीच हो चाहे वह मेघनाथ हो ऐसे आताताई से भी निपटने के लिए प्रभु ने अवतार लिया रामावतार को मर्यादा पुरुषोत्तम अवतार कहां गया ।

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