पीएम का निर्वाचित सरकारों के कामकाज पर नजर रखने का अफसरशाही को निर्देश, संविधान के विरूद्ध: प्रमोद तिवारी



कुलदीप तिवारी 

लालगंज, प्रतापगढ़। राज्यसभा मे विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने प्रधानमंत्री के द्वारा अधिकारियो की हालिया बैठक मे उन्हें निर्वाचित सरकारो के कामकाज पर नजर रखने के बयान को गैरलोकतांत्रिक व तानाशाही करार दिया है। 


उन्होनें कहा है कि लोकतंत्र मे सबसे बडे निर्वाचित पद प्रधानमंत्री पर आसीन होकर पीएम का अधिकारियों से यह कहना कि वह निर्वाचित सरकारों के कामकाज पर नजर रखे और ऐसा कार्य न करें जिसे करना निर्वाचित सरकारों के प्रति अधिकारियों का संवैधानिक कर्तव्य है। 


सोमवार को रामपुरखास पहुंचे प्रमोद तिवारी ने लालगंज कैम्प कार्यालय पर पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि पीएम ने अधिकारियों को पुरस्कृत एवं संबोधित करते हुए इस तरह का संघीय ढांचे के विरूद्ध बयान देकर संविधान की मंशा पर गहरा कुठाराघात किया है। 


प्रमोद तिवारी ने कहा कि लोकतंत्र में इसके सभी चार स्तम्भों की स्वायत्ता के साथ अधिकार भी संरक्षित हैं। जाने माने कानूनविद एवं राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने स्पष्ट किया है कि कार्यपालिका निर्वाचित सरकार के अधीन कार्य करती है और वह निर्वाचित सरकार के हर संवैधानिक निर्देश एवं आदेश का अनुश्रवण किया करती है। 


उन्होंने कहा कि कार्यपालिका, मंत्रि परिषद, संसद और विधानसभा के प्रति जबाबदेह भी हुआ करती है। पीएम के बयान पर तल्ख प्रतिक्रिया में वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि वह सिर्फ निर्वाचित सरकारों की जनता के प्रति संवैधानिक वचनबद्धता पर कार्यपालिका को मात्र नजर रखने को ही नही कह रहे हैं बल्कि ऐसे कार्यक्रमों पर रोक लगाने का भी बेतुका संदेश दे रहे हैं। 


प्रमोद तिवारी ने पीएम के बयान की कडी घेराबंदी करते हुए कहा कि पीएम भूल रहे हैं कि यह प्रक्रिया लोकतंत्र मे नही बल्कि तानाशाही में ही अख्तियार की जाती है। विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि निर्वाचित सरकारों द्वारा जनता से किये गये अपने वायदों को पूरा करना ही जनादेश तो है ही बल्कि सही मायने में यही संविधान की मूल भावना है। 


उन्होनंे चिंता जतायी कि पीएम मोदी का अधिकारियों के साथ यह बयान लोकतंत्र की मूलभावना के विरूद्ध है। ऐसे में विपक्ष के उपनेता प्रमोद ने प्रधानमंत्री से फौरन इस अहम मसले पर देश के सामने स्पष्टीकरण दिये जाने पर भी जोर दिया है। 


उन्होनें कहा कि संविधान में व्यवस्था के मुताबिक हर कीमत पर केंद्र सरकार एवं प्रदेश सरकारों की स्वायत्ता बनी रहनी चाहिए जिससे संधीय ढांचा अपना कर्तव्य पालन कर सके। उन्होनें जोर देकर कहा कि संवैधानिक पदों की गरिमा का ध्यान रखते हुए हर किसी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि केन्द्र सरकार व प्रदेश सरकार के अपने अपने अधिकार हैं। 


वार्ता के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार द्वारा विपक्षी एकता के मजबूत प्रयासों की कड़ी में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की हुई मुलाकात को स्वागत योग्य करार देते हुए विपक्षी एकता के लिए भरोसेमंद एक और मजबूत पहल बताया। 


उन्होने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी से मिलने के बाद नितीश का अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलना भाजपा के खिलाफ सभी विपक्षी दलों मे एक ही प्रत्याशी देने के गठबंधन का यह सार्थक नतीजा ले आयेगा। 


उन्होनें दावा किया कि बीजेपी विपक्ष मे बिखराव के चलते महज बत्तीस प्रतिशत से भी कम मत लेकर सरकार मे आ गयी। बकौल प्रमोद तिवारी 2024 के लोकसभा चुनाव में देश का बासठ प्रतिशत भाजपा के विरूद्ध मतदाता यदि एक मंच पर खडा हुआ तो बीजेपी सौ सीटों से भी नीचे आ जाएगी। 


उन्होनें विपक्षी एकता के फार्मूले को और स्पष्ट करते हुए बताया कि यदि पांच छः प्रतिशत मतदाता विपक्षी गठबंधन से अलग भी रहते हैं तो भी बावन से तिरपन प्रतिशत मत पाकर देश मे दो तिहाई बहुमत के साथ गैर भाजपा सरकार का बनना तय हो जाएगा। 


कर्नाटक में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रमोद तिवारी ने कहा कि जिस तरह से वहां भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री तथा पूर्व उप मुख्यमंत्री सहित दर्जनों विधायकों द्वारा भाजपा छोडकर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा जा रहा है। उससे यह स्पष्ट संकेत है कि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार के बनने का ग्राफ एकतरफा हो चला है। 


उन्होनें अपने दावे पर धार देते हुए कहा कि आखिर पूर्व मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और पूर्व विधायको के द्वारा भाजपा की डूबती जहाज से अलग होने से यह साबित हो गया है कि इनसे ज्यादा इसका रूख किसे पता होगा। राहुल गांधी के द्वारा संसद सदस्य के रूप मे सरकारी आवास खाली करने के सवाल पर प्रमोद तिवारी ने कहा कि यह तो भाजपा के लिए शर्मनाक है कि जिस गांधी परिवार ने देश की आजादी के लिए अपना घर देश को सौप दिया हो उसी गांधी परिवार के सदस्य के विरूद्ध षडयन्त्र कर संसद सदस्यता छीनकर भाजपा घर खाली कराने की जल्दबाजी में नोटिस जारी करने मे कुछ घंटो का भी सब्र नही कर सकी। 


उन्होनें कहा कि राहुल गांधी सच की लडाई लड़ रहे हैं और उनके द्वारा सरकारी घर को समय के भीतर खाली कर देना लोकतंत्र में त्याग और तपस्या की एक नई चमक दे गया है। 


वार्ता के दौरान प्रतिनिधि भगवती प्रसाद तिवारी, मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल, ब्लाक प्रमुख अमित सिंह पंकज, केडी मिश्र, आशीष उपाध्याय भी मौजूद रहे।

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