Maa Pateshwari University युवाओं की मांग व विकास की दौड़ में पड़ोसी बलरामपुर देवीपाटन मंडल गोंडा में इन दिनों अग्रणी साबित हो रहा है।मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय को लेकर 2 जिलों के बीच छिड़ी जंग में बलरामपुर जनपद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता खुलकर सामने आ गए हैं। जबकि इनकी संख्या महज तीन है। फिर भी यह पूरे दमखम के साथ मैदान में हैं। गोंडा जनप्रतिनिधियों की संख्या 10 है। फिर भी सब चुपचाप हैं।
Maa Pateshwari University गोंडा जिले में विश्वविद्यालय निर्माण की मांग यहां के युवा और समाजसेवी संगठन वर्ष 2000 से करते चले आ रहे हैं। इसके लिए तमाम समाजसेवी संगठनों ने समय-समय पर धरना प्रदर्शन कर मांग पत्र भी सौंपा था। योगी सरकार ने विश्वविद्यालय निर्माण की घोषणा कर दी। उसके बाद यहां के युवाओं को एक उम्मीद बंधी थी। हम लोगों की मांग पूरी हो गई। शासन के निर्देश पर प्रशासन ने कर्नलगंज तहसील के डोमाकल्पी में 58.13 एकड़ जमीन चिन्हित कर शासन को प्रस्ताव भी भेज दिया गया। इसके लिए 50 करोड का बजट भी आवंटित कर दिया गया। जिलाधिकारी डॉ उज्जवल कुमार ने लोक निर्माण विभाग को वहां तक आवागमन के लिए सड़क का एस्टीमेट तैयार करने के भी निर्देश दे दिए गए।
बलरामपुर में सत्ता और विपक्ष दोनों करने लगे मांग
मां पाटेश्वरी के नाम से बनने वाला यह विश्वविद्यालय के निर्माण की मांग बलरामपुर के जनप्रतिनिधि तुलसीपुर के आसपास कराने की मांग करने लगे। उनका कहना है कि मां पाटेश्वरी के नाम से बनने वाला विश्वविद्यालय बलरामपुर जनपद में ही बने। इसके लिए वहां के जनप्रतिनिधियों ने गोंडा बलरामपुर के दौरे पर आए मुख्यमंत्री के सामने भी यह बात रखी थी। मुख्यमंत्री के जाने के बाद सत्ता पक्ष के एक विधायक ने बयान जारी कर कहा कि मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के लिए बलरामपुर में तीन जमीने चिन्हित कर ली गई। वहीं सपा विधायक एसपी यादव ने विश्वविद्यालय के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की बात करते हुए मुख्यमंत्री से मांग भी किया। इसके बाद विश्वविद्यालय निर्माण को लेकर बहस छिड़ गई।
गोंडा के 10 जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर जनता अब खड़े कर रही सवाल
गोंडा जिले में सत्ता पक्ष के सात विधायक दो सांसद और एक एमएलसी होने के बाद भी मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय को लेकर किसी का बयान खुलकर सामने नहीं आया। जबकि गोंडा में आम जनमानस में इसको लेकर अनवरत बहस चल रही है। अब जनप्रतिनिधियों की चुप्पी को लेकर लोग सवाल भी खड़े कर रहे हैं। आम जनमानस का कहना है कि गोंडा में लगभग प्रक्रिया पूरी होने के बाद यदि विश्वविद्यालय किन्ही कारण बस यहां नहीं बनता है। तो यहां यहां के जनप्रतिनिधियों की नाकामी मानी जाएगी। लोग यह भी तर्क दे रहे हैं कि बलरामपुर की तरह यहां के जनप्रतिनिधियों को भी आगे आना चाहिए।
सोशल मीडिया पर दिख रहा युवाओं का जोश और आक्रोश
युवाओं में विश्वविद्यालय निर्माण को लेकर जोश के साथ आक्रोश भी देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव को लेकर भी चर्चाएं होने लगी हैं। यदि समय के रहते जनप्रतिनिधियों ने युवाओं के भावनाओं को समझने की कोशिश नहीं किया तो आगामी लोकसभा चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। युवाओं के जोश और आक्रोश की तस्वीर सोशल मीडिया पर आसानी से आंकी जा सकती है।
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