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Mankapur news:ग्राम सभा में हुई अनियमितता को लेकर जिले के जिम्मेदारों ने नहीं सुनी शिकायत,पहुंचा मुख्यमंत्री कार्यालय, तब जारी हुई चिट्ठी




विकासखंड मनकापुर में यह बानगी भर है,अभी ऐसे कई ग्रामसभा पड़े हैं,जहां विकास की अलख शून्य है

पं बागीस तिवारी 

मनकापुर गोंडा।जनपद के विकासखंड मनकापुर अंतर्गत विभिन्न गांव में कराए गए विकास कार्यों के घोटाले पोल दिन प्रतिदिन खुलती जा रही है।विगत दिवस अभी एक एफ आई आर दर्ज ही हुई थी की दूसरी शिकायत पर मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन से चिट्ठी आ गई।



जनपद के विकासखंड मनकापुर अंतर्गत ग्राम सभा गुनौरा में विकास कार्यों को लेकर किए गए व्यापक घोटाले को लेकर गुनौरा के ही कुछ लोगों ने जनपद गोंडा सहित लोकपाल व विकास विभाग के मुख्य मुख्य अधिकारियों को महीनों पूर्व शिकायत किया था ।



जिसमें घोटाले के तथ्य खुलकर सामने भी आए,लेकिन जिम्मेदारों के ढुलमुल नीति के कारण कोई कार्यवाही नहीं की गई।जिससे थक हार कर ग्राम सभा गुनौर के ही शिकायतकर्ता कृष्ण मोहन ने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को शिकायत पत्र भेजकर अपने ग्राम सभा में की गई व्यापक घोटाले पर जांच व कार्यवाही की मांग की थी।



 पीड़ित की शिकायत पर मुख्यमंत्री कार्यालय से भास्कर चंद कांडपाल अनसचिव मुख्यमंत्री कार्यालय लखनऊ से गोंडा जनपद के जिलाधिकारी को जांच के लिए लिखा है। जिस पर जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी को तत्काल जांच कर कार्यवाही करने का आदेश जारी किया है।



वहीं शिकायतकर्ता कृष्ण मोहन ने बताया इसके पूर्व हमने लोकपाल में शिकायत की थी जिसमें 16 लाख की अनियमितता जांच में जाहिर हुई थी। इसके बावजूद भी ग्राम सभा में अनियमितताओं का दौर रुका नहीं और बड़े-बड़े घोटाले हो गए।



जिसमें प्रधान ने अपने सगे भाई के फर्म पर ही लाखों का वारा न्यारा कर दिया पीड़ित ने मामले को लेकर जिलाधिकारी गोंडा, मुख्य विकास अधिकारी गोंडा,सहित विभिन्न पटलों पर शिकायत दर्ज कराई थी।



लेकिन जिम्मेदारों की ढुल मुल नीति के कारण अभी तक कार्यवाही नहीं हुई थी। जब मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ से पीड़ित ने गुहार लगाई, तब जाकर गोंडा में कागजी घोड़ा दौड़ना शुरू हुआ है । 



वहीं सूत्रों की मानें तो अभी यह बानगी भर है,विकासखंड मनकापुर के ऐसे बहुत गांव हैं जहां पर विकास की अलख केवल कागजों में जगी है।धरातल पर शून्य है। तथा विकास खण्ड में सचिवों को निजी स्वार्थों के चलते अधिकारियों ने गांवों का इस प्रकार आवंटन किया है।कि लग रहा है यह सरकारी कार्य नहीं झोले की रेवड़ी है।

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