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टिकरी वन क्षेत्र में हरे-भरे प्रतिबंधित पेड़ों की कटाई लगातार जारी

 




रामकृपाल गिरी/पंश्याम त्रिपाठी 

नवाबगंज (गोंडा) ।टिकरी जंगल किनारे बसे ग्रामीण क्षेत्रों में हरे-भरे प्रतिबंधित पेड़ों की कटाई लगातार जारी है। लकड़ी माफिया इमारती पेड़ों पर आरियां चलाकर लकड़ियों से मोटी रकम कमा रहे हैं। तो दूसरी तरफ जंगलों को व्यापक स्तर में क्षति पहुंचा रहे है। 


लकड़ी तस्करों के हावी होने पर इसका  खामियाजा लकड़ी जंगल व वन्य जीव, प्रकृति उठाना पड़ रहा है। इसकी भनक वन अमला को भी है। परंतु विभागीय जिम्मेदार अधिकारी इस तरफ आंख मूंद कर बैठे हुए है।सूचना के बाद भी संबंधित विभाग के जिम्मेदार कार्यवाही से कतराते है।



ताजा मामला शुक्रवार को देखने को मिला वन क्षेत्र रामगढ़ रेंज टिकरी क्षेत्र के भरहूँ गांव में माफियों द्वारा सागौन के हरे पेड़ काट कर धराशायी कर दिए गए जिसके शिकायत बन विभाग के उच्च अधिकारियों को तुरंत दी गयी सूचना के घंटो बाद पहुँच कर लकड़ी लदी पिकअप जिसके कोई वैध कागजात न होने पर भी गाड़ी को छोड़ दिया गया।



इस से साफ जाहिर है कि लकड़ी माफियो से वन विभाग और स्थानीय पुलिस की साठ गांठ होती है धड़ले  से ग्रामीण क्षेत्र और जंगल की बेशकीमती लकड़ी काटी जा रही है।विभाग द्वरा ठोस कार्रवाई नहीं होने से पूरे जिले भर में लकड़ी तस्कर सक्रिय हैं। दशकों पुराने पेड़ों की कटाई कर लकड़ी तस्कर आरा मील व ईंट भट्ठों में बेचकर मालामाल हो रहे हैं। 


आरा मशीन संचालक भी तस्करों से पूरा लाभ उठा रहे हैं। वो भी इन लकडियों को और महंगे दर पर बेचकर खजाना भर रहे हैं। वही इन तस्करों के कारण मैदानी हरियाली खत्म हो रही है, पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ रहा है। इसमें प्रशासन की कोई रोक-टोक नहीं होने के कारण अवैध कटाई करने वालों के हौसले बुलंद हैं।


वही इस वाबत जब वन क्षेत्राधिकारी टिकरी विनोद नायक से बात की गई तो उन्होंने कहा टीम को भेजा गया था कार्यवाही की गई है गाड़ी को पकड़ कर छोड़ने के सवाल पर उन्होंने बताया कि जुर्माना लिया गया है। पर जब वही टीम के सदस्य रामजियावन सिंह जो उस क्षेत्र  के फॉरेस्टर है उन्होंने कहा कि गाड़ी छोड़ दी है 5 पेड़ पर केस काटा जाएगा।


पर अगर अवैध लकड़ी पकड़ी जाती है तो बिना जुर्माना वसूल किये गाड़ी न छोड़ने का प्रावधान है।इस बात से साफ जाहिर है कि लकड़ी माफियो के आगे वन विभाग नतमस्तक है जिसे माफियों के हौसले बुलंद है और बिनरोकटोक के हरियाली के दुश्मन बन बेशकिती लकड़ियों को काट कर बेच रहे है।



वनविभाग के आलाअधिकारियों सहित वनविभाग के जिम्मेदार जहां मौन दिख रहे हैं वहीं जंगल किनारे बसे मनकापुर व नवाबगंज मसकिनवा के आसपास बसे गांवों के पास लकड़ी माफिया सक्रिय हैं व लगातार हरे पेड़ों पर कटान जारी है।

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