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यूपी से कछुओं की चीन हांगकांग और मलेशिया तक हो रही तस्करी, जानिए शक्तिवर्धक दवाओं से क्या है इसका कनेक्शन



उमेश तिवारी 

यूपी एसटीएफ की टीम ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कछुए की तस्करी करने वाले गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान लखनऊ के ठाकुरगंज निवासी रिंकू कश्यप उर्फ गुठली के रूप में हुई है। एसटीएफ ने आरोपी रिंकू कश्यप के पास से 108 जीवित कछुए बरामद किए हैं। 


उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स को बड़ी सफलता हाथ लगी है। एसटीएफ की टीम ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कछुए की तस्करी करने वाले गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान लखनऊ के ठाकुरगंज निवासी रिंकू कश्यप उर्फ गुठली के रूप में हुई है। 


एसटीएफ ने आरोपी रिंकू कश्यप के पास से 108 जीवित कछुए बरामद किए है। दरअसल एसटीएफ को लखनऊ से बड़े स्तर पर विभिन्न प्रजातियों के कछुओं की तस्करी किए जाने का इनपुट मिला था। एसटीएफ को जानकारी मिली थी कि कछुओं को बेचने के लिए तस्कर पश्चिम बंगाल के व्यापारियों के संपर्क में रहते हैं। जहां से यह माल बांग्लादेश और म्यांमार के रास्ते चीन, हांगकांग, मलेशिया आदि देशों में भेजा जाता है। 


एसटीएफ को जानकारी मिली कि बिहार के कुछ तस्कर भारी मात्रा में कछुओं की तस्करी के लिए लखनऊ और आस-पास के क्षेत्रों में स्थानीय तस्करों के साथ मिलने और मालों की सप्लाई करने लखनऊ से बिहार, पश्चिम बंगाल जाने वाले हैं। एसटीएफ की टीम ने कार्रवाई करते हुए आरोपी रिंकू कश्यप को अकबरी गेट ढाले के सामने पुल के नीचे से गिरफ्तार किया है। 


गिरफ्तार किए गए आरोपी रिंकू कश्यप ने पूछताछ में बताया कि वो लखनऊ के काकोरी के पास गोमती नदी और सीतापुर से 200 रुपए प्रति कछुए के रेट से खरीदता है। जिसे बंगाल, बिहार, कर्नाटक और बैंगलोर के व्यापारियों को 300 रुपए के रेट से बेच देता है। पूछताछ में बताया कि जिसे व्यापारी इन कछुओं को देश के बाहर महंगे दामों में सप्लाई करते हैं।


शक्तिवर्धक दवा के लिए हो रही तस्करी

भारत में कछुओं की पाई जाने वाली 29 प्रजातियों में 15 प्रजातियां उत्तर प्रदेश में पाई जाती है। इनमें से 11 प्रजातियों का अवैध व्यापार किया जाता है। यह अवैध व्यापार जीवित कछुए के मांस, पालने और कछुए की कैलिपी (झिल्ली) को सुखा कर शक्तिवर्धक दवा के लिए किया जाता है। कछुओं को (मुलायम कवच ) और ( कठोर कवच ) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। यमुना, चम्बल, गंगा, गोमती, घाघरा, गंडक आदि नदियों, उनकी सहायक नदियों, तालाबों और अन्य जगहों पर ये दोनों प्रकार के कछुए बहुतायत में पाए जाते हैं। यूपी एसटीएफ की कई टीमें वाइल्ड लाइफ संरक्षण के लिए काम करती रही है।

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