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सनातन संस्कृति के सोलह संस्कारों में अन्नप्राशन जीवन आधार



श्याम कृष्ण त्रिपाठी / बनारसी मौर्या 

नवाबगंज गोंडा। क्षेत्र के साखीपुर गांव में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अरुण सिंह के आवास पर  उनकी बिटिया के छः माह पूरा होने पर भव्य अन्नप्राशन कार्यक्रम का आयोजन आंगनबाड़ी द्वारा किया गया। 

कार्यक्रम कि संयोजक मिनी आंगनवाड़ी की कार्यकत्री सुनीता सिंह ने बताया कि मानव व्यक्तित्व के विकास एवं हिंदू रीति रिवाज में जितने भी आध्यात्मिक आयोजन होते हैं उनको सीधे-सीधे धर्म से जोड़ने का प्रयास किया गया है , इन्हीं 16 संस्कारों में सातवें क्रम पर पड़ने वाले अन्य अन्नप्राशन संस्कार बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार की भूमिका में रखा गया है असिस्टेंट प्रोफेसर ने बताया कि पिछले जन्म में व्यक्ति किस योनि में रहा होगा यह कोई नहीं जान सकता किंतु उसके कार्य ,व्यवहार को देखते सुनने समझने के बाद लोग इस जीव को नना प्रकार की संज्ञा देखने लगते हैं अन्नप्राशन संस्कार से माता-पिता ,बाबा दादी ,नाना नानी ,मामा मामी ,भाई बहन आदि सभी अपनों को यह संकल्प दिलाया जाता है कि किसी भी कारण से यदि आप यह भूल गए हो कि आप क्या है ?और कहां जा रहे हैं ? तो इस छः माह के शिशु को अन्न ग्रहण करने के बहाने आपको भी यह स्मरण कराया जा सके कि आप भी अपने जीवन में उन सभी शाकाहारी और फलाहारी दुग्धहारी आदि के सेवन से शरीर को परिपुष्ट किया जा सकता है !

मनुष्य नाम का प्राणी दुनिया में सबसे उच्च कोटि की योनि निर्धारित है।प्रत्येक परिवार में अन्नप्राशन संस्कार अनिवार्य रूप से संपन्न होना चाहिए और अपनों को अपने यहां आमंत्रित करके अपने जीवन को दीर्घायु होने स्वस्थ रहने और समृद्धि बनाने का संकल्प बार-बार दोहराते रहने की आवश्यकता पर बल देना चाहिए !

इस अवसर पर आंगनबाड़ी कार्यकत्री सुनीता सिंह , कार्यकत्री सरला सिंह ,राजपालक सिंह सुनील सिंह , शौर्य प्रताप सिंह, खुशबू सिंह  सहित तमाम पारिवारिक जन उपस्थित रहे !

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