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घाघरा नदी में डूबे युवक का सधुआपुर घाट किनारे मिला शव,परिजनों में मची चीखपुकार



कमलेश

खमरिया-खीरी:ईसानगर थाना क्षेत्र के मिर्जापुर गांव के पास मंगलवार को क्रिकेट खेलकर घाघरा नदी में साथियों संग नहाते वक्त डूबे युवक का शव शुक्रवार को घटना स्थल से करीब 8 किलोमीटर दूर सधुआपुर घाट के पास मिला। जिसकी जानकारी होते ही रोते विलखते परिजनों के साथ मौके पर पहुचीं पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर विधिक कार्रवाई के बाद पीएम के लिए भेज दिया है।

मंगलवार को क्षेत्र के मिर्जापुर गांव के पास साथियों संग क्रिकेट खेलकर घाघरा नदी में नहाते समय डूबे ईसानगर निवासी चांद सलमानी (20) पुत्र मैलु सलमानी का शव शुक्रवार को घटना स्थल से करीब आठ किलोमीटर दूर सधुआपुर घाट के पास ग्रामीणों को दिखाई पड़ा जिसकी सूचना मिलते ही रोते विलखते परिजन मौके पर पहुचे जहां परिजनों ने कपड़ो को देखकर शव की पहचान चांद के रूप में कर पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते कुछ ही दूर पर सर्च अभियान में शामिल थानाध्यक्ष देवेंद्र कुमार गंगवार दल बल के साथ घाट के पास पहुचकर शव को कब्जे में लेकर देर सायं विधिक कार्रवाई के बाद पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय भेज दिया।

दुल्हन विदा कराकर घर छोड़ साथियों संग नदी में गया था नहाने

रिश्तेदारों की माने तो 20 दिन पहले ही चांद की शादी हुई थी जिसका मंगलवार को ही  गौना हुआ था। गौना में सुबह चांद व उसका परिवार दुल्हन को विदा करवाकर घर लाया था उसके कुछ ही देर बाद चांद अपने साथी शादाब (20)पुत्र मरगूब सलमानी,नसरूद्दीन (18) पुत्र अली अहमद व जहुद्दीन (17)पुत्र मोहियुद्दीन निवासी कस्बा ईसानगर के साथ पड़ोसी गांव मिर्जापुर के पास घाघरा नदी के किनारे मैदान में किक्रेट मैच खेलने चला गया, जहां मैच खेलने के बाद चारों नदी में नहाने के लिए पानी में उतर गये। जहां नदी का पानी गहरा व बहाव तेज होने के कारण चारों नदी में बह गये। जिसमें से शादाब, नसरूद्दीन, व वजहुद्दीन किसी प्रकार जान बचाकर नदी से बाहर निकल आये पर चांद उसमें डूब गया जिसकी तलाश के लिए थानाध्यक्ष देवेंद्र कुमार गंगवार,तहसीलदार आदित्य विशाल सहित फ्लड पीएसी लगातार नदी में सर्च अभियान चला रहे थे। इसी बीच शुक्रवार को चांद का शव घटना स्थल से कई किलोमीटर दूर नदी में उतराता हुआ ग्रामीणों को दिखाई दिया। जिसकी सूचना पाकर परिजन व पुलिस मौके पर पहुचे। वही इस बाबत चांद के एक रिश्तेदार ने बताया कि शायद तकदीर को यही मंजूर था,नहीं तो गौना से वापस आने के बाद उसे घर के बाहर ही नहीं जाने दिया जाता तो इस घटना से बचाया जा सकता था।

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