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अविवाहित सगे भाई की हत्या में पिता पुत्र दोषी करार, अदालत में सुनाई फांसी की सजा



उत्तर प्रदेश के बरेली में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने हत्या के मामले में पिता पुत्र को फांसी की सजा सुनाई है। 16 बीघा जमीन के लालच में पुत्र के साथ मिलकर पिता ने अविवाहित भाई की हत्या कर दी थी। मामले में सुनवाई करते हुए फास्ट ट्रैक प्रथम रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने पिता पुत्र को सजा दी है।

जमीन के लालच में आकर बड़े भाई ने अविवाहित छोटे भाई की अपने पुत्र के साथ मिलकर हत्या कर दी थी। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने मृतक के सगे भाई रघुवीर सिंह और भतीजे मोनू उर्फ तेजपाल सिंह को दोषी पाया है। मामले में अदालत ने हत्यारे भाई को अर्थदंड के रूप में एक लाख रुपए, वही हत्यारे भतीजे को अर्थदंड के रूप में 10000 रुपए जुर्माना लगाया है। अदालत ने दोनों आरोपियों को अंतिम सांस तक फांसी पर लटकाए जाने का आदेश दिया है।

10 साल बाद मिला न्याय: एडीसी क्राइम दिगंबर पटेल के मुताबिक वर्ष 2014 के 20 नवंबर को बहेड़ी थाना क्षेत्र के भोजपुरी गांव में रहने वाले 42 वर्षीय अविवाहित चरण सिंह की हत्या कर दी गई थी।

पुलिस को किया गुमराह: मामले में पुलिस को गुमराह करते हुए चरण सिंह के भाई रघुवीर सिंह ने बहेड़ी कोतवाली में हल्दी खुर्द गांव के रहने वाले अपने ममेरे भाई हरपाल के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया था। जिससे पुलिस को बहुत बारीकी से विवेचना करनी पड़ी थी। लेकिन जांच में कहानी पलट गई। 

विवेचना में खुला राज: मामले की विवेचना करते हुए पुलिस ने पाया कि मृतक के निसंतान मामा भूप सिंह ने अपनी बीस बीघा जमीन और संपत्ति अपनी बहन ओमवती यानी कि चरण सिंह के मां के नाम कर दी है। चरण सिंह अपने ननिहाल में रहकर अपने मामा के प्रॉपर्टी की देखभाल करता था। उधर चरण सिंह के नाम पिता के प्रॉपर्टी से हिस्से की 16 बीघा जमीन पैतृक गांव पर थी।

16 बीघा जमीन के लालच में हत्या: मृतक चरण सिंह के भाई रघुवीर सिंह को आशंका थी कि उसका छोटा भाई अपने हिस्से की जमीन को सौतेले भाई धर्मपाल को दे देगा। इसी शक के कारण रघुवीर ने अपने बेटे मोनू के साथ मिलकर अपने छोटे भाई चरण सिंह की हत्या कर दी थी।

बोले एसपी: पुलिस अधीक्षक मानुष पारीक ने बताया कि थाना के पैरोकार उ०नि० मंगल देव गिरि के प्रभावी पैरवी में अदालत ने रघुवीर सिंह पुत्र एहवरन सिंह और मोनू उर्फ तेजपाल सिंह पुत्र रघुवीर सिंह को मृत्युदंड की सजा देते हुए एक एक लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड न जमा करने के स्थित में 5-5 वर्ष अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।


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