फर्जी मुकदमे में फंसा कर जेल भेजने के पुलिस के कारनामे आपने बहुत सुने होंगे, ऐसा ही एक कारनामा उत्तर प्रदेश के झांसी में देखने को मिला है। लेकिन फर्जी जेल भेजने का मामला अब पुलिस के गले की हड्डी बन गया है। जिसने मित्र पुलिस के कार्य शैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
दरअसल झांसी के सदर बाजार पुलिस में एक सब इंस्पेक्टर, दो कांस्टेबल सहित पांच लोगों के खिलाफ विभिन्न गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है। जिससे पुलिस महकमे खलबली मची हुई है।
कुछ यूं शुरू हुआ मामला: दरअसल 27 वर्षीय छात्र वीर गौतम ने पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए न्यायालय से न्याय की गुहार लगाई थी। पीड़ित छात्र के मुताबिक उसने निलेश अहिरवार नामक व्यक्ति को इलाज कराने के लिए 17 हजार रुपए उधार दिया था, लेकिन रुपए वापस मांगने पर उसे इधर-उधर की बातें समझाई जाने लगी, तो वीर गौतम ने आईजीआरएस के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने दोनों पक्ष को थाने पर बुलाकर सुलहनामा लिखवा लिया था। जिसमें रुपए वापस करने की बात की गई थी इसके बावजूद भी रुपए नहीं लौटाए गए। तब वीर गौतम की मां ने मामले में फिर शिकायत की, जिसके कारण से बकायदार निलेश और उसकी पत्नी मोनिका अहिरवार ने पुलिस से मिली भगत करके वीर गौतम के खिलाफ फर्जी शिकायत दर्ज करवा दी।
दरोगा ने किया शोषण: बकायदार पति पत्नी की शिकायत उप निरीक्षक देवराज मौर्य को जांच करने का दायित्व मिला, उप निरीक्षक ने वीर गौतम को फोन करके थाने पर बुला लिया था। जहां फर्जी मामले में उसे चार दिनों तक थाने में बैठा कर रखा। उप निरीक्षक में वीर गौतम को छोड़ने के एवज में उसकी मां से सौदा किया, कहा कि वीर को छोड़ दिया जाएगा लेकिन 50 हजार रुपए लगेंगे। अंततः बेटे को बचाने के लिए मां ने रुपयों का इंतजाम कर पुलिस के चंगुल से छुड़ा लिया। पुलिस कस्टडी से मुक्त होने के बाद वीर ने उच्च अधिकारियों से उपनिरीक्षक देवराज मौर्य की शिकायत कर दी। जिससे उप निरीक्षक तिलमिला उठे, यहीं से एसआई ने वीर से रंजिश रखनी शुरू कर दी।
फर्जी मुकदमे में भेजा जेल: कुछ समय बाद वर्ष 2020 के 7 सितंबर को उप निरीक्षक वीर और उसके भाई को रिश्तेदारी से उठाकर मध्य प्रदेश के दतिया गौदन ले गए, जहां रात के 1:15 बजे झूठी तस्कर रिपोर्ट दर्ज कर दी गई। पुलिस ने वीर को भगवंतपुर वन विभाग के गोदाम में ले जाकर पिटाई करते हुए जमकर धमकाया, वीर के हाथों में जबरदस्ती तमंचा थमा दिया, जिसकी तस्वीर बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करते हुए वीर को अपराधी बनाने की साजिश रची गई।
वीर के सबूत बने रद्दी: वीर गौतम ने खुद पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए एटीएम से रुपए निकालने के दौरान की सीसी टीवी फुटेज और अपने मोबाइल लोकेशन का रिकॉर्ड बतौर साक्ष्य प्रस्तुत किया, कि उक्त घटनाओं के समय वह कहां-कहां मौजूद था। मामले में जांच हुई जिसमें दरोगा देवराज मौर्य, सिपाही सत्येंद्र कुमार और विजय कुमार दोषी पाए गए, इसके बावजूद भी इनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ।
छात्र का भविष्य बर्बाद: अदालत में दायर किए गए वाद में वीर ने कहा कि फर्जी मुकदमे में फंसा देने के कारण उसका करियर तबाह हो गया है, उसकी मां ने उसके बचाव के लिए उच्च अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन उसकी शिकायत को अनसुना कर दिया गया। मामले में जांच का झुनझुना थमा कर औपचारिकताएं निभाई गई। वीर के अपील को गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया।
सीओ सिटी को मिली जांच: सदर बाजार पुलिस में मुकदमा दर्ज होने के बाद मामले की जांच सीओ सिटी को मिली है, वही वीर को अब भी चिंता सता रही है कि उसको न्याय मिलेगा या अपने अधीनस्थ कर्मियों का बचाव करते हुए मामला रद्दी में दफन कर दिया जाएगा!
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ