अमरोहा में महिला शिक्षिका से दुष्कर्म का आरोपी फैसल कोर्ट केस वापसी के लिए बना रहा था दबाव। कॉलेज में पिस्टल तानने की घटना के बाद जहरीला पदार्थ खाकर दी जान। पढ़ें पूरी दर्दनाक कहानी।
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आरोपी/मृतक फैसल |
"प्यार, पिस्तौल और जहर: अमरोहा की एक शिक्षिका की जिंदगी में फैला डर और एकतरफा दीवानगी की खौफनाक परिणति”
अमरोहा से आई ये खबर एक बार फिर ये सोचने पर मजबूर कर देती है कि जब प्यार जुनून में बदल जाए, तो इंसान कैसे अपने और दूसरों के जीवन को नर्क बना देता है। एक विधवा शिक्षिका, जिसे जिंदगी ने पहले ही गहरे घाव दिए, अब उसे अपने ही अतीत की परछाइयों से जूझना पड़ा..और इस बार अंजाम था मौत... लेकिन इस बार मौत आरोपी की हुई।
ये कहानी है अमरोहा के नौगांवा सादात इलाके की, जहां 32 वर्षीय फैसल नाम के युवक ने एक महिला शिक्षक से रिश्ता बनाने की ज़िद में सारे हदें पार कर दी थीं। कभी प्यार का वादा किया, फिर शारीरिक शोषण का आरोप झेला, और जब कोर्ट में केस दर्ज हुआ तो खुद को बचाने के लिए वही हथकंडे अपनाए जो सिरफिरे आशिकों की फिल्मों में दिखते हैं।
प्यार की शुरुआत, धोखे की कहानी:
शिक्षिका का जीवन पहले ही संघर्षों से भरा रहा है। 2015 में सड़क हादसे में पति की मौत के बाद, वो खुद को मजबूत बनाकर एक इंटर कॉलेज में पढ़ाने लगी। यहीं पर उसकी मुलाकात हुई फैसल से...एक प्राइवेट गणित शिक्षक, जो पढ़ाने से ज़्यादा दिल लगाने में रुचि रखता था। धीरे-धीरे फैसल ने उसे प्रेमजाल में फंसा लिया और शादी का झांसा देकर संबंध बना लिए।
जब प्यार बना खतरा:
लेकिन जब शिक्षिका ने शादी से इंकार कर दिया, तो फैसल का असली चेहरा सामने आया। 29 मई 2024 को शिक्षिका ने रेप का केस दर्ज कराया, जिसके बाद फैसल जेल चला गया। कुछ महीनों बाद बेल पर बाहर आया, लेकिन अपनी हरकतों से बाज नहीं आया।
कॉलेज में पिस्टल और धमकी:
15 अप्रैल 2025 को फैसल हदें पार कर गया। वह शिक्षिका के कॉलेज में घुस आया और तमंचा तानकर धमकाने लगा—"केस वापस ले लो वरना अंजाम बुरा होगा।" यह पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई और जब पीड़िता ने 19 अप्रैल को इसकी शिकायत की, तो पुलिस ने दोबारा एफआईआर दर्ज की।
जहर से अंत, लेकिन क्या यही इंसाफ है?
शिकायत दर्ज होने के ठीक उसी रात को, 19 अप्रैल की रात में ही फैसल ने ज़हर खा लिया। इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। पुलिस अब मामले की कानूनी प्रक्रिया में जुटी है, लेकिन इस पूरी घटना ने समाज को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है..कि एक महिला के "ना" कहने पर पुरुष क्यों हिंसा पर उतर आते हैं?
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