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बाप की हत्या में बेटे गिरफ्तार: 38 बीघा जमीन के लिए रात में दी नींद की गोली, फिर गला दबाया

बुलंदशहर के धनौरा गांव में एक पिता की हत्या के मामले में पुलिस ने उसके दो बेटों को गिरफ्तार किया है। शराब और जमीन के डर ने बेटों को बना दिया हत्यारा।



"जिसको बाप ने पाला, उसी के हाथों मिली मौत, 38 बीघा जमीन के लिए दो बेटों ने रची पिता की हत्या की साजिश!"

बुलंदशहर | 10 अप्रैल, 2025:गांव धनौरा में जब एक वृद्ध का शव मंदिर के पास बम्बे किनारे खाली प्लॉट में मिला, तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि ये मौत किसी गैर का किया-धरा नहीं, बल्कि खून के रिश्ते की साजिश थी।

जिस बाप ने बचपन से गोद में खिलाया, उन्हीं दो बेटों ने नींद की गोली खिला कर गला घोंट दिया—केवल इसलिए कि कहीं वो अपनी जमीन न बेच दे।


पिता की मौत का गम जताने वाला बेटा ही निकला कातिल!

2 अप्रैल को गांव धनौरा निवासी सत्यवीर का शव संदिग्ध अवस्था में मिला था। सत्यवीर के बेटे इन्द्रजीत ने खुद थाना ककोड़ जाकर केस दर्ज कराया, लेकिन शायद ये उसका प्लान का हिस्सा था। पुलिस ने जब शक की सुई उसी पर घूमाई, तो पर्दाफाश हुआ कि सत्यवीर की हत्या खुद उनके दो बेटों ने मिलकर की थी।


कारण: शराब, सट्टा और जमीन का डर

पुलिस की जांच में सामने आया कि सत्यवीर शराब, जुआ और सट्टे की लत का शिकार थे। उनके नाम गांव में 38 बीघा खेती योग्य जमीन थी। बेटों को डर था कि बाप कभी भी ये जमीन बेच सकता है। बस इसी डर ने उन्हें हैवान बना दिया।बड़े बेटे इन्द्रजीत ने खाना बनाते वक्त उसमें नींद की गोली मिलाई। रात को जैसे ही पिता बेहोश हुए, दोनों भाइयों ने दुपट्टे से उनका गला घोंट दिया।


साजिश का आखिरी कदम, शव को मंदिर के पास फेंकना

हत्या के बाद दोनों भाइयों ने मोटरसाइकिल पर शव को लादा और गांव के मंदिर के पास बम्बे के किनारे खाली प्लॉट में फेंक दिया, ताकि लगे कि किसी अजनबी ने हत्या की है। लेकिन कानून के हाथ लंबे होते हैं! स्वाट टीम और थाना ककोड़ पुलिस ने साजिश का पर्दाफाश करते हुए इन्द्रजीत उर्फ बिड्डू और जैकी को गिरफ्तार कर लिया।


क्या-क्या हुआ बरामद?

आलाकत्ल दुपट्टा जिससे गला दबाकर हत्या की गई, घटना में प्रयुक्त TVS बाइक,एक मोबाइल फोन


जब बेटों से पूछा गया “पिता के अंतिम संस्कार में क्यों गए?”

पुलिस सूत्रों की मानें, तो जब आरोपियों से यह पूछा गया कि हत्या के बाद वे अपने पिता के अंतिम संस्कार में कैसे शामिल हुए, तो दोनों खामोश हो गए और आंखें झुकाकर रो पड़े। ये वही आंखें थीं, जो रात में पिता की सांसें छीनते वक्त ज़रा भी नहीं डबडबाईं थीं।


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