गोंडा में आंगनबाड़ी भर्ती घोटाले का भंडाफोड़! फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वाले 11 लेखपालों पर डीएम नेहा शर्मा की सख्त कार्रवाई। पढ़ें पूरी खबर।
गोंडा में लेखपालों की कारगुजारी का भंडाफोड़: डीएम नेहा शर्मा की सख्ती से हड़कंप, 11 पर गिरी गाज!
231 पद, 12 फर्जी दस्तावेज, और एक सख्त डीएम... जब नौकरी की दौड़ में छले गए असली हकदार
कृष्ण मोहन
गोंडा, 14 अप्रैल: गोंडा में सरकारी नौकरी की दौड़ में फर्जीवाड़े की परतें खुलते ही जिले में हड़कंप मच गया है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की चयन प्रक्रिया में इस्तेमाल किए गए फर्जी निवास और आय प्रमाण पत्रों के खुलासे के बाद जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने ऐसी सख्ती दिखाई कि 11 लेखपालों की कुर्सी डोल गई।
जांच में सामने आया कि जिन महिलाओं को केंद्र और राज्य सरकार की योजना के तहत सेवा में आना था, उनकी जगह गलत प्रमाण पत्रों के सहारे कुछ उम्मीदवारों को आगे बढ़ाया गया। कुल 12 मामलों में फर्जीवाड़ा प्रमाणित हुआ, और इस घोटाले में सीधे तौर पर लेखपालों की भूमिका सामने आई।
231 पदों पर भर्ती... और खेल हो गया कागजों का!
समन्वित बाल विकास योजना के तहत जिले में 17 परियोजनाओं में 231 पदों पर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने सूची सूचना पट्टों पर चस्पा की और आम जनता से आपत्तियां आमंत्रित कीं। जब दस्तावेजों की सघन जांच और स्थलीय सत्यापन शुरू हुआ, तब सच्चाई की परतें खुलनी शुरू हुईं।
चार तहसीलें, एक जैसा फर्जीवाड़ा
जांच के दौरान तहसील सदर से 6, तरबगंज से 3, करनैलगंज से 2 और मनकापुर से 1 मामला सामने आया, जहां लेखपालों ने या तो जानबूझकर या लापरवाही में फर्जी प्रमाण पत्र जारी कर दिए। इन दस्तावेजों का प्रयोग कर कुछ उम्मीदवारों ने चयन प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास किया।
डीएम नेहा शर्मा का फुल एक्शन मोड
डीएम ने इसे गंभीर प्रशासनिक लापरवाही मानते हुए न केवल विभागीय कार्यवाही के आदेश दिए, बल्कि खुद इस पूरे मामले पर नजर रखने के लिए अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) को साप्ताहिक रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। डीएम का स्पष्ट कहना है, "इस जिले में सरकारी नौकरी अब सिर्फ काबिलियत से मिलेगी, जुगाड़ और जालसाजी से नहीं!"
ये हैं वो 11 लेखपाल, जिन पर गिरी गाज:
1. अभिजीत कुमार (अनंतपुर)
2. राम बहादुर यादव (पदोन्नत RI, हरदोई में प्रशिक्षणरत) 2 मामलों में दोषी
3. हिमांशु कुमार (गिलौली)
4. संगीता गौड़ (गोविंदपारा)
5. प्रवीण कुमार (बनवरिया)
6. ज्ञान प्रकाश मिश्रा (RI, खिरौरा मोहन, सदर)
7. पवन कुमार तिवारी (रामापुर)
8. दीपक त्रिपाठी (वजीरगंज)
9. मनोज चौबे (दुर्जनपुर डिक्सिर)
10. प्रभात कुमार (निंदूरा, करनैलगंज)
11. रामनाथ (RI, उतरौला, बलरामपुर)
फर्जीवाड़े की ये जड़ें अगर समय रहते न काटी जातीं, तो न जाने कितनों का भविष्य निगल जातीं। लेकिन गोंडा की डीएम नेहा शर्मा ने साबित कर दिया है कि प्रशासनिक ईमानदारी आज भी जिंदा है।
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