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महाराणा प्रताप का त्याग, समर्पण व पराक्रम वंदनीय:भाटी

 


आनंद गुप्ता 

पलियाकलां (खीरी )जिला पंचायत बालिका इंटर कालेज में राष्ट्रनायक महाराणा प्रताप की 485वीं जयंती हर्षॉल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर प्रधानाचार्य कृष्ण अवतार भाटी ने कहा कि उनका त्याग, समर्पण व पराक्रम वंदनीय है। उनके शौर्य व युद्धकौशल से अकबर सदैव भयभीत रहता था। 18जून 1576 को हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप की अद्भुत वीरता का प्रमाण है। 1580ई में महाराणा प्रताप ने भामाशाह के आर्थिक सहयोग से अपनी सेना को फिर से मजबूत किया। 1582ई में महाराणा प्रताप ने दिवेर के युद्ध में अकबर की सेना को बुरी तरह हराया। बीस हजार मुग़ल सैनिक मारे गये। अकबर द्वारा स्थापित चालीस चौकियों में से 36चौकियों पर महाराणा प्रताप ने पुनः कब्जा कर लिया। इसके बाद अकबर ने कभी मेवाड पर हमला नहीं किया। विद्यालय की नोडल अधिकारी आकृति गुप्ता ने कहा कि महाराणा प्रताप के रामप्रसाद नाम के हाथी को हल्दीघाटी के युद्ध में पकड़ लिया था,अकबर ने उसे तमाम तरह के भोजन दिए, लेकिन उसने पानी तक नहीं पीया, बीस दिन बाद उसने अपने प्राण त्याग दिये। उसकी स्वामी भक्ति से अकबर बहुत प्रभावित हुआ।प्रसिद्ध इतिहासकर कर्नल टाड ने कहा था कि अकबर ने महाराणा प्रताप के डर से अपनी राजधानी दिल्ली से लाहौर व आगरा की थी। दिवेर युद्ध के बाद अकबर बहुत भयभीत रहता था। कार्यक्रम का शुभारम्भ भारतमाता व महाराणा प्रताप के पूजन व अर्चन से हुआ। कार्यक्रम में माया वर्मा, रचना मिश्रा, अवधेश वाजपेयी व नीलम कश्यप सहित विद्यालय परिवार की सार्थक उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन अर्थशास्त्र प्रवक्ता अर्चना शुक्ला ने किया।

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