संभल में दरिंदगी की सारी हदें पार! एक दिव्यांग पर बीमा के लालच में हथौड़ा बरसाया गया, गाड़ी चढ़ाई गई, ताकि 51 लाख का बीमा क्लेम मिल सके। पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर साजिश का पर्दाफाश किया।
संभल की सड़कों पर इंसानियत का चिथड़ा उड़ गया, जब एक दिव्यांग की जान सिर्फ इसलिए ली गई क्योंकि उसकी मौत की कीमत बीमा कंपनियों ने 51 लाख रुपए तय कर दी थी। सोचिए! अब किसी की जिंदगी नहीं, उसकी "पॉलिसी" देखी जाती है।
दरियाब नामक दिव्यांग की किस्मत ने उसका साथ तभी छोड़ दिया था, जब कुछ शातिर दिमाग लोगों ने उसकी लाचारी को "लाभकारी निवेश" समझ लिया। दरियाब के नाम से एक-दो नहीं, पूरे पांच बीमा पॉलिसी कराई गईं,जिसका प्रीमियम तो आरोपियों ने भरा, लेकिन प्रॉफिट मौत के बाद मिलना तय था।
प्लान बिल्कुल 'फुलप्रूफ' था, दारू पिलाई गई, गाड़ी से कुचला गया, लेकिन जब 'मौत' ने साथ नहीं दिया, तो हथौड़े से सिर तोड़ दिया गया। दरियाब की जान तो चली गई, लेकिन बीमा का 'बाउंस चेक' यहीं से शुरू हुआ।
इस "मौत के सौदे" के मुख्य सौदागर थे:
पंकज राघव (बैंक का पॉलिसी एडवाइजर)
हरिओम सिंह और विनोद (दो सगे भाई)
प्रताप (साथी खिलाड़ी)
इन लोगों ने दरियाब की मौत को रोड एक्सीडेंट बताकर पांचों कंपनियों से क्लेम कर दिया। मगर लालच का भांडा वहीं फूटा, जब पांच कंपनियों के कंप्यूटर एक ही नाम से फुल हो गए और सिस्टम चिल्ला उठा: "कुछ तो गड़बड़ है दया!"
TATA AIG ने सबसे पहले शक जताया और फिर केस पहुंचा एसपी संभल के पास। थाना चंदौसी और बहजोई की टीम ने जब बीमा पॉलिसियों की तह तक पहुंचने की कोशिश की, तो उधड़े धागे ने पूरी साजिश का नक्शा खोल दिया।
एडिशनल एसपी सिटी और @Krishan_IPS के निर्देशन में जब सच्चाई बाहर आई, तो पुलिस को आलाकत्ल (हथौड़ी), गाड़ी, बीमा पॉलिसी की कॉपियां और हत्या की रात का 'डार्क प्लान' सब कुछ मिल गया।
पूछताछ में सामने आया कि कैसे 2023 के अगस्त से दरियाब को 'पॉलिसी का पिंजड़ा' पहनाया गया था। दिव्यांग की मजबूरी का फायदा उठाकर, उसे 'चलते-फिरते करोड़पति शव' में बदलने की योजना महीनों से पक रही थी।
पंकज राघव, जो खुद एक्सिस बैंक में बीमा एजेंट था, उसने बाकायदा सभी को ट्रेनिंग दी कि "मरणासन्न व्यक्ति का बीमा करवाओ और लोन फ्री जिंदगी जीओ!"लेकिन शायद ये लोग भूल गए थे कि मौत का भी ईमान होता है, और पुलिस उसकी वकील!
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