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BALRAMPUR...अध्यापक की पत्नी ने लगाई न्याय की गुहार

अखिलेश्वर तिवारी 
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय स्थित डीएवी इंटर कॉलेज के अध्यापक अशोक कुमार तिवारी की पत्नी वृंदा देवी ने कॉलेज प्रबंधक संजय तिवारी  पर गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस अधीक्षक, पुलिस उप महानिरीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक तथा ह्यूमन राइट कमीशन उत्तर प्रदेश को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाया  है । पत्र में उन्होंने लिखा है कि लगातार झटका आ रहे अपने दिव्यांग पुत्र की दिन-रात जाग-जाग कर  सेवा करते-करते उनकी आंखें खराब हो गई और बलरामपुर के डॉक्टरों द्वारा जवाब दे दिए जाने पर गोरखपुर में राज आई हॉस्पिटल में 10 अप्रैल 2025 को उनको जब दिखाया गया तो चिकित्सक द्वारा  तत्काल ऑपरेशन ना होने पर उनकी आंख की रोशनी  चली जाने की बात कहा  गया जिसके कारण चिंता में 11 अप्रैल को उनके पति अध्यापक की भी आँखे लाल हो गई और 12 अप्रैल को उन्होंने एक दिन का चिकित्सा अवकाश ले  लिया ।

 प्रबंधक संजय तिवारी ने उनकी बीमारी और नौकरी दोनों को फर्जी लिखते हुए उनकी सेवा समाप्ति का अनुमोदन जिला विद्यालय निरीक्षक के पास भेज दिया । जिला विद्यालय निरीक्षक ने 30 अप्रैल 2025 को उनकी सेवा पत्रावली 3 दिन के अंदर प्रस्तुत करने के लिए प्रधानाचार्य को पत्र लिखा । पत्र में लिखा गया है कि पत्रावली 3 दिन के अंदर प्रस्तुत न हो और उनकी नौकरी चली जाए इसलिए 1 मई 2025 को  ही प्रबंधक जी, भारत की पुलिस से बचने के लिए कई साल नेपाल में शरण लेने वाले शातिर बदमाश उमेश मिश्रा उर्फ  मदारी, पवन कुमार शुक्ला तथा संजय पांडे  के साथ कॉलेज आए और विधायक राकेश यादव पर प्राण घातक हमला करने के अपराध में कई दिन जेल काट चुके  प्रधान लिपिक सुधांशु दुबे के सहयोग से उनकी सेवा संबंधित संपूर्ण पत्रावली उठा ले गए । प्रधानाचार्य मेजर हरि प्रकाश वर्मा द्वारा बार-बार मौखिक तथा लिखित मांगने पर भी जब पत्रावली वापस नहीं लौटाए तो पति पुलिस अधीक्षक के सामने पेश हुए जिस पर  पूरब टोला चौकी प्रभारी संतोष कुमार जो कि बहुत सक्रिय और ईमानदार व्यक्ति है ने कड़ाई करके 10 जून 2025 को पत्रावली जब बरामद किया तो "सर्विस बुक"  में उपरोक्त पांचो अभियुक्तों में से किसी के द्वारा कूट रचना व छेड़छाड़ करके "उनकी सेवा समाप्त होने की बात लिख दिया जाना पाया गया है " जबकि इंटरमीडिएट एजुकेशन एक्ट अध्याय 3 सेवा की शर्तें की धारा 75 में सर्विस बुक (जो कि सरकारी संपत्ति है ) में लिखने का अधिकार केवल प्रधानाचार्य को ही है ।
 अध्यापक चौकी प्रभारी की कार्यवाही से पूर्ण संतुष्ट थे इसलिए पुलिस के कहने पर उन्होंने संतुष्टि का शपथ पत्र लिख दिया लेकिन कूट रचना का मुकदमा दर्ज करने के लिए उन्हें बताया गया कि कर्मचारियों द्वारा संस्था मुखिया के विरुद्ध कानूनन मुकदमा दर्ज नहीं कराया जा सकता इसलिए वृंदा देवी ने  नोटरी शपथ पत्र बनवाकर अपने पति के साथ जाकर पुलिस क्षेत्राधिकारी नगर को  प्रार्थना पत्र दिया । दुर्भाग्य  से कोतवाल साहब वहां पहुंच गए और सीओ सिटी से अध्यापक को अपनी बात भी नहीं कहने दिए जिसके कारण अब उनसे शिक्षा विभाग के अधिकारी द्वारा मुकदमा दर्ज करवाने की बात कहा जा रहा है तथा जिला विद्यालय निरीक्षक का पत्र मांगा जा रहा है जबकि प्रबंधक जी के दबदबा के कारण अध्यापक अथवा वृंदा देवी के कहने पर ना तो शिक्षा विभाग का कोई अधिकारी मुकदमा दर्ज कराएगा और ना ही पुलिस को पत्र लिखेगा । वृंदा देवी  ने प्रार्थना पत्र में यह भी  निवेदन किया है कि चूंकि उनके पति की  व्यक्तिगत हानि हुई है और वह सरकारी कर्मचारी भी नहीं है इसलिए  वृंदा देवी के नाम से  प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराया जाए तथा सीओ सिटी के द्वारा जिला विद्यालय निरीक्षक बलरामपुर तथा डीएवी इंटर कॉलेज बलरामपुर के प्रधानाचार्य को पत्र भिजवा कर रिपोर्ट मंगवाया जाए । पत्र में दावा किया गया है कि यदि उनकी  शिकायत झूठी पाई जाए तो पति तथा उनको जेल भेज दिया जाए और यदि सही पाई जाए तो सर्विस बुक जैसी सरकारी संपत्ति की चोरी करके उसमें कूट रचना के तहत छेड़छाड़ करने वालों के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत करके न्यायोचित कार्रवाई किया जाए । प्रबंधक जी के अमानवीय कृत्य से अध्यापक को 2 महीने तक वेतन नहीं मिला और वह अपनी नौकरी बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ते रहे जिसके कारण वृंदा देवी की आंख का तत्काल ऑपरेशन ना होने से दाहिनी आंख की रोशनी चली गई तथा दिव्यांग पुत्र मरणासन्न हो गया । पत्र के अंत में श्रीमती तिवारी ने न्याय की गुहार लगाते हुए  लिखा है कि कोतवाल साहब कह रहे हैं कि  कि यह शिक्षा विभाग का मामला है वहां जाइए और शिक्षा विभाग कह रहा है कि यह अपराध  का मामला है कोतवाली जाइए । आखिर वे जाएं तो जाएं कहां ? उन्होंने आसंका व्यक्त किया है कि यदि कल को प्रबंधक जी द्वारा उनके पति की हत्या भी कर दी जाती है तो कोतवाल साहब कहेंगे कि यह शिक्षा विभाग का मामला है वहां जाइए और शिक्षा विभाग कहेगा कि यह अपराध का मामला है पुलिस में जाइए मैं दौड़ती रहूंगी लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं होगा। पत्र के माध्यम से पीड़ित ने न्याय की गुहार लगाई है । प्रबंधक संजय तिवारी ने आरोपों को निराधार बताते हुए झूठ तथा मनगढ़ंत बताया है ।

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