अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर में बुधवार को बिरजू महाराज कथक संस्थान संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश एवं एम एल के पी जी कॉलेज बलरामपुर के संयुक्त तत्वावधान में महाविद्यालय परिसर में चल रहे सात दिवसीय ग्रीष्मकालीन निशुल्क कथक नृत्य कार्यशाला के तीसरे दिन प्रतिभागियों ने कथक नृत्य में हस्तक की जानकारी प्राप्त की।
4 जून को को महाविद्यालय प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय के निर्देशन एवं महाविद्यालय के एसोसिएट एन सी सी ऑफिसर व कार्यशाला संयोजक लेफ्टिनेंट डॉ देवेन्द्र कुमार चौहान के संयोजकत्व में प्रतिभागियों ने कथक नृत्य में हस्तक की जानकारी प्राप्त कर झूमते नज़र आये। कथक गुरु हर्षिता चौहान ने हस्तक की जानकारी देते हुए बताया कि कथक नृत्य में, हाथों की मुद्राएँ और उनकी हरकते "हस्तक" कहलाती हैं। ये हस्तक नृत्य में भावनाओं, कहानियों और विचारों को व्यक्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं. हस्तकों का उपयोग करके कथक नर्तक अपनी भावनाओं और कथक की कहानियों को अधिक स्पष्टता से व्यक्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कथक में हस्तकों का उपयोग विभिन्न प्रकार के अवसरों के लिए किया जाता है, जैसे कि भावनाओं को व्यक्त करना, कहानियों को बताना, और अभिनय करना। साथ ही कथक में हस्तकों को सीखने और समझने के लिए एक विशेष तकनीक का उपयोग किया जाता है, जो नर्तक को सही ढंग से हस्तक करने में मदद करती है। इस अवसर पर डॉ वंदना सिंह,आरती,छवि चतुर्वेदी, शिखा पाण्डेय, हर्षिता श्रीवास्तव उपस्थित रहे।
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