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BALRAMPUR...देवीपाटन में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा में शामिल हुए मुख्यमंत्री

अखिलेश्वर तिवारी 
जनपद बलरामपुर के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रमण के प्रथम दिवस सोमवार की शाम को देवीपाटन मंदिर पर महंत योगी महेंद्र नाथ की पुण्यतिथि के उपलक्ष मे आयोजित किए जा रहे श्रीमद् भागवत कथा में सम्मिलित हुए ।
10 नवंबर की शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो दिवसीय जनपद भ्रमण के प्रथम दिन महंत महेंद्र नाथ की 25 वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा में सम्मिलित होकर अपने संबोधन में कहा कि महंत महेंद्रनाथ जी महाराज ने लंबे समय तक शक्तिपीठ देवीपाटन की सेवा की। गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ के सानिध्य व निर्देशन में वे मंदिर और इस क्षेत्र के विकास के लिए योगदान देते रहे। संत व योगी के रूप में उनके द्वारा किए गए कार्य 25 वर्ष के बाद भी जनमानस के लिए स्मरणीय बने हुए हैं। उन्होंने 25 वर्ष पहले जिन कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया था, वे मूर्त रूप लेते हुए आगे बढ़ रहे हैं। मंदिर के भौतिक विकास, मंदिर परिसर के अंदर जनसुविधाओं के विकास और मंदिर द्वारा संचालित होने वाले सेवा के विभिन्न प्रकल्प तेजी के साथ आगे बढ़े हैं। मुख्यमंत्री व गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने बलरामपुर में सोमवार को ब्रह्मलीन महंत योगी महेंद्रनाथ जी महाराज की 25वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे। इस अवसर पर यहां श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है। सीएम योगी ने व्यास पीठ को नमन किया और कथा व्यास संत बालकदास जी महाराज का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत ज्ञान, भक्ति और वैराग्य की भी कथा है। वैराग्य का आशय स्वार्थ से ऊपर उठकर ईमानदारी से कर्तव्यों का निर्वहन करना है। राष्ट्र, समाज, देश व धर्म के लिए समर्पण का भाव श्रीमद्भागवत कथा हमें सदैव प्रेरणा देती रही है। 
सेवा के माध्यम से लोककल्याण, जनकल्याण के मजबूत केंद्र बनकर उभरें धर्मस्थल

उन्होंने कहा कि किसी भी धर्मस्थल का प्राथमिक दायित्व होता है कि वह समाज की आस्था का प्रतीक बने और अपनी सेवा के माध्यम से लोककल्याण, जनकल्याण का मजबूत केंद्र बनकर उभरे। देवीपाटन मंदिर 35-40 वर्ष पहले केवल मंदिर तक सीमित था। धर्मशाला भी टूटी हुई थी। अन्य जनसुविधाएं भी नहीं थीं। श्रद्धालुओं को अनेक कठिनाई होती थी। जिस मंदिर के पास स्वयं की सुविधा न हो, वह अन्य कार्यक्रम क्या आगे बढ़ाता। आज यहां श्रद्धालु व आगंतुक निःशुल्क प्रसाद ग्रहण कर सकता है। मंदिर परिसर में धर्मशाला, यात्री विश्रामालय व गोसेवा के कार्यक्रम चल रहे हैं। मंदिर परिसर में थारू जनजाति से जुड़े छात्रों के लिए उत्तम छात्रावास का निर्माण और उनके पठन-पाठन की व्यवस्था मंदिर द्वारा संचालित सीबीएसई बोर्ड के विद्यालय में की जाती है। 
राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहे छात्रावास से निकले छात्र

 मुख्यमंत्री ने कहा कि थारू जनजाति के लिए बनाए गए छात्रावास को 1994 में प्रारंभ किया गया था। पिछले 31 वर्षों से इस छात्रावास से निकले छात्र समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहे हैं। भारत और नेपाल की सीमा की संवेदनशीलता सर्वविदित है। इन क्षेत्रों में थारू बाहुल्य गांव हैं। यह उपेक्षित पड़े हुए थे। वहां कनेक्टिविटी, जनसुविधा, स्कूल नहीं थे। 1994 में उन बच्चों को लाकर मठ-मंदिर परिसर में लाकर व्यवस्था की गई और अतिउत्तम छात्रावास के माध्यम से इन बच्चों के लिए उत्तम शिक्षा की व्यवस्था की गई। 
केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि राष्ट्रीयता की प्रेरणा के केंद्रबिंदु बन सकती हैं धार्मिक संस्था

 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि धार्मिक संस्था केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि राष्ट्रीयता की प्रेरणा के केंद्रबिंदु बन सकते हैं। संस्था द्वारा यह कार्य किया गया। यहां पर मां पाटेश्वरी के नाम पर सीबीएसई बोर्ड का विद्यालय संचालित हो रहा है। यहां कस्बे और अगल-बगल के गांव के बच्चे भी आकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। सीमावर्ती क्षेत्र में धर्मस्थल जागरूक बनकर अपने उत्तरादायित्वों का निर्वहन करे तो इससे बढ़कर कोई कार्य नहीं हो सकता। हमें याद रखना होगा कि धर्म का मतलब केवल उपासना विधि, पूजा पाठ, आस्था नहीं होती। भारतीय दर्शन के अनुसार इसकी परिभाषा को जानने का प्रयास करेंगे तो पता चलेगा कि इस लोक में जो भौतिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विकास का मार्ग प्रशस्त करे तथा परलोक के लिए मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सके, वह व्यवस्था ही धर्म है। भौतिक विकास का मार्ग बिना कर्तव्य निर्वहन के नहीं हो सकता। जब प्रत्येक व्यक्ति कर्तव्यों का निर्वहन करे तो वही दायित्व बनता है। उसी दायित्व का निर्वहन करते हुए हम आगे बढ़ते हैं तो देश मजबूत होता है। 
यह वर्ष देश के लिए अत्यंत सौभाग्यशाली

 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह वर्ष देश के लिए अत्यंत सौभाग्यशाली है, क्योंकि भारत की अखंडता के प्रतीक लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के 150 वर्ष पूर्ण हुए हैं। भारत का राष्ट्रगीत वंदे मातरम भी 150वें वर्ष में पहुंच गया है। यह धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती का 150वां वर्ष है। बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबडेकर द्वारा जिस संविधान की ड्रॉफ्टिंग की गई थी, उसके 75 वर्ष पूर्ण हुए हैं। यह उसके अमृत महोत्सव का भी वर्ष है। इसी वर्ष में प्रयागराज महाकुम्भ भी हुआ। मुख्यमंत्री ने लौहपुरुष का जिक्र करते हुए कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने दो बातें कहीं थीं कि देश की स्वाधीनता का मतलब मात्र आजाद होना नहीं है। देश की स्वाधीनता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए हर नागरिक को अपने राष्ट्रीय दायित्व का भी अहसास होना चाहिए। उसके निर्वहन के लिए खुद को तैयार रखना होगा। उन्होंने कहा कि जिस देश का युवा जागृत और राष्ट्रीय चेतना से ओतप्रोत होता है, उस राष्ट्र को दुनिया की कोई ताकत गुलाम नहीं बना सकती। दोनों बातें हर देश, काल, परिस्थिति में प्रासंगिक बनी है। 
भारत माता की वंदना का गीत है राष्ट्रगीत

उन्होंने कहा कि राष्ट्रगीत वंदे मातरम भारत माता की वंदना का गीत है। भारत माता को साक्षात देवी ( मां दुर्गा, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती) की प्रतिमूर्ति के रूप में स्थापित करते हुए वंदना की गई है। यह राष्ट्रमाता के प्रति हमारे दायित्व के निर्वहन के प्रति आग्रही बनाता है। यह गीत भारत की आजादी और भारत को एकता के सूत्र में बांधने वाला मंत्र बना था। भारत का हर क्रांतिकारी, स्वाधीनता संग्राम सेनानी वंदे मातरम गाते-गाते फांसी के फंदे को चूम लेता था, लेकिन वह कभी भी विदेशी हुकूमत के सामने नतमस्तक नहीं हुआ। भगवान बिरसा मुंडा ने विदेशी हुकूमत से भारत की दासता को मुक्त करने के लिए बलिदान दिया था। भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 नवंबर की तिथि को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में आयोजित करने का निर्णय लिया। इस वर्ष उनकी जयंती के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं। 
भारत के संविधान के शिल्पी हैं बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर

 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर भारत के संविधान के शिल्पी हैं। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है। यह भारत को उत्तर से दक्षिण व पूरब से पश्चिम तक एकता के सूत्र में जोड़ता है। भारत के प्रत्येक नागरिक को समान मताधिकार की उपयोग की स्वतंत्रता देता है। भारत के संविधान की ताकत है कि हर मतदाता अपने मत का प्रयोग कर सकता है। आम जनता सरकार को चुनती है। सरकार को चुनने के लिए हमें किसी बाहरी ताकत के सहयोग की आवश्कता नहीं पड़ती। मतदाता जिसे मत देता है, वह प्रतिनिधि बनकर सरकार के गठन में योगदान देता है। यह ताकत बाबा साहेब ने दी।   
बाबा साहेब ने कहा- जीवन में सकारात्मक भाव को लेकर बढ़िए 

 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने अनुसूचित जाति, जनजाति, दबी-कुचली जातियों से कहा था कि आगे बढ़ना है तो जीवन में सकारात्मक भाव को लेकर बढ़िए। इससे जीवन यशस्वी हो जाएगा। नकारात्मकता दूसरों के साथ स्वयं का भी नुकसान करेगी। नकारात्मकता का जीवन में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। उन्होंने युवाओं को अधिक से अधिक अध्ययन के लिए प्रेरित किया। भारत के साथ जुड़कर राष्ट्रीयता पर विश्वास करते हुए सुरक्षा के लिए समर्पण भाव से कार्य करने वाला युवा भारत के अंदर सभी समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। यही शिक्षा संतों-महापुरुषों की भी है। 
सकारात्मक भाव के साथ काम कर रही हैं सरकारें

 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत का हर धर्मस्थल राष्ट्र के प्रति समाज को जोड़कर उत्तरदायित्वों का निर्वहन करना प्रारंभ कर देगा तो कोई भी विधर्मी, राष्ट्रविरोधी तत्व पनप नहीं पाएगा। सरकारें आज सकारात्मक भाव के साथ काम कर रही हैं। देश में पीएम मोदी का नेतृत्व है, जिन्होंने 11 वर्ष में भारत का कायाकल्प करके रख दिया है। हर क्षेत्र में भारत ने सर्वांगीण विकास की ऊंचाइयों को प्राप्त किया। वहीं दूसरी ओर राज्य सरकारें उनका अनुसरण करते हुए विकास के नित नए प्रतिमान को स्थापित करते हुए कार्य कर रही हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में हो रहे कार्यों का उद्देश्य एक भारत-श्रेष्ठ भारत के निर्माण की दिशा में कार्य करना है। एक भारत-श्रेष्ठ भारत वंदे मातरम की अभिव्यक्ति और धरती माता के प्रति समर्पण, कृतज्ञता ज्ञापित करने का भाव है। वंदे मातरम केवल गीत नहीं है। जब नागरिक ईमानदारी से कर्तव्यों का निर्वहन करता है तो धरती माता के प्रति कर्तव्यों के प्रति निर्वहन करते हुए वंदे मातरम के प्रति समर्पण का भाव व्यक्त करता है। शिक्षक जब छात्र को संस्कारवान बनाकर राष्ट्रीयता के प्रति समर्पण की प्रेरणा देता है तो वह वंदे मातरम के प्रति अभिव्यक्ति को प्रदर्शित करता है। व्यापारी ईमानदारी के साथ जब टैक्सपेयर के पैसे को सरकारी खजाने में जमा करता है तो राष्ट्रीय उत्तरदायित्वों का निर्वहन करते हुए वंदे मातरम के प्रति समर्पण के भाव को प्रदर्शित करता है। पुलिसकर्मी जब ईमानदारी से ड्यूटी का निर्वहन करता है तो भारत माता के प्रति ईमानदारी से कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए आगे बढ़ता है। नौकरशाह कर्तव्यों का निर्वहन करता है तो वंदे मातरम के स्वर को व्यावहारिक धरातल पर उतारकर राष्ट्रीय उत्तरादायित्वों का निर्वहन कर रहा है। छात्र जब पाठ्यक्रम का अध्ययन करके आगे बढ़ता है तो वंदे मातरम के प्रति कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए राष्ट्रवंदना कर रहा है। 
राष्ट्र वंदना का मतलब कर्तव्य

 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्र वंदना का मतलब केवल पूजा की थाल सजाकर आरती करने से नहीं होता, बल्कि कर्तव्यों से होता है। इस मठ ने ईमानदारी से कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए ही कार्य प्रारंभ किए हैं। गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने यही प्रेरणा दी और इसे अक्षरशः धरातल पर उतारा इस पीठ के दिवंगत महंत महेंद्र नाथ महाराज ने। जो भी गोरखपुर में अच्छा होता था, वे उसे यहां लाने का प्रयास करते थे। अच्छाई की नकल होनी चाहिए, बुराई की नहीं। बुरे काम का नतीजा भी बुरा ही होता है। यह कार्य सफलता की मंजिल को छूने व आगे बढ़ने की प्रेरणा होती है।
मुख्यमंत्री जी  ने युवाओं का किया मार्गदर्शन
 
 मुख्यमंत्री जी ने युवाओं से अपील की कि आज के समय में जागरूक हों। समाज उनका इंतजार कर रहा है। अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निर्वहन करें। स्मार्ट फोन के चक्कर में न पढ़ो। यह आंख की रोशनी और समय को बर्बाद करेगा, फिर सोचने के सामर्थ्य को कम करेगा। मेहनत करने की आदत डालिए। यह कुछ देर और कुछ दूरी के लिए उपयोगी हो सकता है। स्मार्ट फोन डिजिटल लाइब्रेरी के कंटेंट के लिए आवश्यक हो सकता है, लेकिन दिन भर इससे चिपकने से यह श्रम, शक्ति व सामर्थ्य को भी कम करेगा। 
कच्ची नींव पर पक्की इमारत नहीं हो सकती
 
 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जितना शारीरिक व दिमागी मेहनत करेंगे, वही आने वाले समय के लिए मजबूत प्लेटफॉर्म का कार्य करेगा और वही जीवन की आधारशिला बनेगी। कच्ची नींव पर पक्की इमारत नहीं हो सकती, पक्की नींव पर ही पक्की इमारत का निर्माण हो सकता है। यही संतों की भी वाणी है। इस दौरान संत बालक दास जी महाराज, देवीपाटन मंदिर के महंत मिथलेश नाथ योगी जी , अयोध्या हनुमानगढ़ी के महंत धर्मदास जी महाराज , स्वामी विद्या चैतन्य जी, महंत बलराम दास, सर्वेश दास जी महाराज, विधायक बलरामपुर सदर पल्टू राम, विधायक तुलसीपुर कैलाश नाथ शुक्ला, विधायक उतरौला राम प्रताप वर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष बलरामपुर आरती तिवारी, जिलाध्यक्ष रवि मिश्रा, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रावस्ती दद्दन मिश्रा, विधायक राम फेरन पांडेय, प्रभारी बलरामपुर राहुल राज रस्तोगी, पूर्व विधायक शैलेश कुमार सिंह शैलू, अध्यक्ष नगर पालिका परिषद बलरामपुर धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू सहित अन्य संत तथा श्रद्धालु उपस्थित रहे ।

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