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VIDEO:विश्व हिन्दी दिवस पर आयोजित हुई काव्य गोष्ठी

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शिवेश शुक्ला 
प्रतापगढ़। विश्व हिन्दी दिवस पर शुक्रवार को हिन्दी भाषा समर्थकों ने हिन्दी को राष्ट्र भाषा घोषित किये जाने का प्रस्ताव पारित किया।  ब्रह्मदेव साहित्य  समाज के तत्वाधान में कलेक्ट्रेट परिसर में संरक्षक पंडित राज किशोर त्रिपाठी 'रागी' की अध्यक्षता में अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस पर एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया | कार्यक्रम का संचालन प्रेम कुमार त्रिपाठी 'प्रेम' ने किया | इस अवसर पर राज किशोर त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी सभी भाषाओं का प्राण है जिससे अंतरात्मा की ध्वनि से समस्त विश्व को प्रभावित किया  जा सकता है | उन्होने कहाकि जैसा कि महर्षि अरविंद घोष ने अपने मंत्रों के तरंगों से आजादी दिलाई | काव्य पाठ करते हुए उन्होंने कहा कि यदि हारना है रामराज्य का सच्चा आवाहन तो निश्चय ही करना होगा | इस मौके पर साहित्य समाज के अध्यक्ष प्रेम कुमार त्रिपाठी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने हिंदी में भाषण देकर पूरी दुनिया के युवाओं में ऊर्जा का संचार पैदा कर दिया था | इस मौके पर परमानंद मिश्र ने एक प्रस्ताव के जरिए हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित किए जाने पर जोर दिया | इस अवसर पर मदन मोहन पांडेय , रामाश्रय शर्मा ,प्रदीप चतुर्वेदी, दिव्यांत  सिंह ,आनंद सिंह ,प्रदीप पांडे ,शेष नारायण दुबे, नितेश त्रिपाठी ,सर्वोत्तम पांडेय आदि मौजूद रहे | वही दूसरी ओर लालगंज में हिन्दी मित्र संघ के तत्वाधान मे हुई बैठक मे पारित प्रस्ताव मे कहा गया है कि देश की आजादी मे लोगों को एकता के सूत्र मे बांधने से लेकर आज भी हिन्दी ही सामुदायिक एकता का सूत्रधार है। बैठक की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार विशालमूर्ति मिश्र ने हिन्दी को भारतीय भाषाओं का सिरमौर ठहराया। हिन्दी मित्र संघ के संयोजक ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने विश्व हिन्दी सम्मेलन के नागपुर अधिवेशन के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विश्व हिन्दी दिवस की अधिघोषणा के अनुरूप राष्ट्र भाषा के रूप मे हिन्दी को अंगीकृत किये जाने के संवैधानिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि डा. दुर्गाप्रसाद ओझा ने हिन्दी साहित्य के संवर्धन व विकास पर प्रकाश डाला। बैठक के जरिये हिन्दी को राष्ट्र भाषा का संवैधानिक दर्जा दिलाए जाने के लिए आगामी चौदह सितंबर तक हिन्दी प्रेमियो के बीच हस्ताक्षर अभियान चलाये जाने का संकल्प लिया गया। हिन्दी दिवस पर संघ के द्वारा हस्ताक्षरयुक्त मांग पत्र राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को भेजवाये जाने का भी निर्णय लिया गया। संचालन वरिष्ठ साहित्यकार डा. नागेन्द्र अनुज ने किया। इस मौके पर दयाशंकर पाण्डेय, डा. पूर्णिमा मिश्रा, डा. शक्तिधरनाथ पाण्डेय, डा. राजकुमार पाण्डेय, डा. अम्बिकेश त्रिपाठी, पं. रामफेर पाण्डेय, अंजनी अमोघ, अनूप प्रतापगढ़ी, आशुतोष आशु, आचार्य राजेश मिश्र, केशवराम ओझा, राकेश तिवारी, विनय शुक्ल, डा. मुकेश मिश्र, अशोक शुक्ल, पं. देवानंद मिश्र आदि रहे।
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