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नकहा में एक बुजुर्ग और उसके बेटे पर जानलेवा हमला


सुनील उपाध्याय
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में कलवारी थाने के अंतर्गत नकहा  क्षेत्र में एक बुजुर्ग और उसके बेटे पर जानलेवा हमला हुआ जिसमें बुजुर्ग इसलाम के बेटे गंभीर रूप से घायल हो गए।
बदमाशों ने उन पर लाठियों की बरसात की जिससे उनका सिर फट गया और गहरा घाव आ गया। जब वह अपनी जान बचाने के लिए अपने घर में प्रवेश किए तो बदमाशों ने घर में घुसकर मारा जहां उनकी बहू भी थीं ।
उन्होंने उनका इलाज भी नहीं करवाया। जब इसकी शिकायत पुलिस स्टेशन में की गई तो मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की गई।
जब अधिक जोर डाला गया तो उन्होंने उन पर 323 और 504 की कमजोर  धारा लगाईं  जबकि पीड़ितों ने हमलावरों को त्वरित गिरफ्तारी की मांग की थी
जब हमले के दूसरे दिन थाने की कार्यप्रणाली पर सवाल पूछे गए  तो उप  दारोगा ने पीड़ित व्यक्ति को फोन कर फिर थाना आकर एफआईआर दर्ज कराने के लिए कहा लेकिन जब वे वहां पहुंचे तो कोई केस दर्ज नहीं किया गया और वह निराश होकर घर लौटे। थाना परभारी ने इस क्षेत्र में जाकर पूछताछ करने की भी बात कही थी लेकिन अभी तक वह वहाँ नहीं गए। अफसोस की बात यह है कि पुलिस ने अभी तक उनकी गिरफ्तारी नहीं की है। जबकि कुछ दिन पहले इसी क्षेत्र में इसी तरह का हमला हुआ था और पांच हमलावर आज भी जेल में हैं। चूंकि इस घटना में हमला करने वाले पैसे से मजबूत और प्रधान इसमें खुद शामिल है इसलिए पुलिस पूरी तरह से लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना तरीके से काम कर रही है।
हद तो यह है कि पुलिस हमलावरों को पीड़ित बता रही है जिन्होंने गरीब के घर में घुस कर मारा और उन्हें धमकी दी।
इस मामले में गांव के लोग गवाही देने के लिए भी तैयार हैं लेकिन पुलिस को गवाही की जरूरत नहीं है।
उल्लेखनीय है कि यह घटना 29 अप्रैल को हुई जब एक लड़का पीड़ित व्यक्ति के मोटरसाइकिल पर बैठा हुआ था और उसे जब मना किया गया तो उसने उतरने से मना कर दिया जब उस से उतरने के लिए जोर डाला गया तो उसने अपने घरवालों को बुलाकर उन पर जानलेवा हमला कर दिया और धमकी भी दी कि जो उखाड़ना है उखाड़ लो।
हालांकि उस समय उन्हें ऐसा लगा कि हम उसे उसके अंजाम तक ज़रूर पहुंचाएंगे लेकिन अब यह साबित हो गया कि हमारी पुलिस प्रशासन की लापरवाही और ग़ैर दाराना व्यवहार ऐसे बदमाशों को प्रेरित कर रहे हैं।
 पीड़ितों का आरोप है कि हमलावर शमसुद्दीन पिता सिराजुद्दीन, जमालुद्दीन पिता सिराजुद्दीन,  अतीक अहमद पिता शमसुद्दीन को प्रधान अनीश अहमद ने पूरा समर्थन किया और प्रधान ने खुद अपने हाथ से एक एफआईआर थाने में दी है ताकि हमलावरों को बचाया जा सके।
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