मनकापुर गोंडा।धरती पर भगवान का दूसरा स्वरूप डॉक्टर होते हैं ,जिनमें सेवा भाव के लिए संवेदनाएं कूट-कूट कर भरी होती हैं । यदि बात महिला स्वास्थ्य कर्मी की जाए तो संवेदना अत्याधिक पाया जाता है । लेकिन मनकापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मैं तैनात महिला स्वास्थ्य कर्मियों की मनोदशा प्रकृति के नियमों को भी सिरे से खारिज करते हुए संवेदनहीनता का परिचय दिया है।
मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनकापुर के इमरजेंसी वार्ड से जुड़ा है । जहां महिला स्वास्थ्य कर्मी अपने मोबाइल के चैटिंग में व्यस्त होने के कारण संवेदनहीन हो गई कि बेड पर चिल्ला रहे बच्चे की आवाज इनके कानों तक नहीं गूंजी।
जबकि बच्चे के चीखने व चिल्लाने की आवाज सुनकर दूसरे कक्ष में मौजूद सीनियर स्टाफ तक पहुंच गए,उसके बाद भी तैनात महिला स्वास्थ्य कर्मियों के कानों में जू तक नहीं रेगा और वे लगातार चैटिंग में व्यस्त रही।
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