जंगल के पेड़ों को भी किया जा रहा धराशाई
रखवाली के बजाय अवैध कमाई में लगा रहता है वन रक्षक
गोण्डा। अधिकारियों की लापरवाही के चलते वन विभाग के कर्मचारी सरकारी पेड़ों की रखवाली करने के बजाय उन्हें धराशायी कराने में लगे हुए हैं। कर्मचारियों की निरंकुशता का आलम यह है कि जंगल के साथ ही सड़कों के किनारे लगे वृक्षों को भी कटवाकर गायब करा दिया जा रहा है और इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
पण्डरी कृपाल रेंज के रेड़ौरा जंगल में कीमती पेड़ों का सफाया किया जा रहा है। पिछले माह यहां सागौन व महुख के पेड़ काटकर गायब कर दिए गए। एक सागौन का पेड़ मौके पर बरामद हुआ, जिसे वन रक्षक देवनारायण पाण्डेय उठवा ले गया और फिर उसका पता नहीं चला। रेड़ौरा जंगल में विद्यानगर बीट में नहर किनारे से एक पेड़ सागौन का वन माफियाओं द्वारा काटकर गायब कर दिया गया। फारेस्ट गार्ड द्वारा बताया गया कि पेड़ दर्जीकुआं के पास बरामद कर लिया गया है लेकिन किससे बरामद किया गया और उसके विरूद्ध क्या कार्रवाई की गयी? यह कोई नहीं बता रहा है। बताते हैं कि जंगल व सड़क किनारे लगे पेड़ों की रखवाली के बजाय वन रक्षक क्षेत्रों में अवैध रूप से की जा रही पेड़ों की कटाई से धन अर्जित करने में लगा रहता है। बजाज चीनी मिल कुंदरखी चौराहा के पास नहर के किनारे काटे गए यूकेलिप्टस के पेड़ व सैदवापुर में मिश्रा किराना स्टोर के सामने काटे गए अर्जुन के पेड़ की लकड़ियों का कोई अता-पता नहीं है। आरोप है कि ऐसे मामलों में वन रक्षक थोड़ी बहुत लकड़ियां दिखाकर बाकी की सौदेबाजी कर लेता है.
अब ताजा मामला दर्जीकुआं-मनकापुर मार्ग पर स्थित दनौवा गांव के पास का है। यहां सड़क किनारे लगे एक आम के सूखे पेड़ को काटकर गायब कर दिया गया, लेकिन इस मामले में जांच-पड़ताल या कार्रवाई तो दूर, वन विभाग का कोई कर्मचारी मौके पर देखने तक नहीं गया। बताते हैं कि सड़कों के किनारे लगे पेड़ों को धराशायी कराने में क्षेत्रीय वन रक्षक की मिलीभगत रहती है। अधिकारियों से शिकायत होने पर वह उन्हें गुमराह कर देता है जिससे अधिकारी भी संतुष्ट होकर खामोशी की चादर ओढ़ लेते हैं और वन रक्षक तथा पेड़ों को काटने वाले कार्रवाई से साफ बच जाते हैं।
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