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ग्रामीण जनता के लिए देव दूत बने ग्रामीण स्वास्थ्य सेवक: डाॅ प्रेम त्रिपाठी


सुनील उपाध्याय 

बस्ती :जिले मे कोरोनावायरस के कारण अस्पतालों में ओपीडी बंद है शहर के बड़े अस्पतालों को छोड़िए गांवों के भी सरकारी अस्पतालों में सामान्य इलाज नहीं हो रहा है ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में गली, चौराहों,और बाजारों में मिलने वाले ग्रामीण स्वास्थ्य सेवक जिन्हें लोगों द्वारा (झोलाछाप) नाम से जाना जाता है संजीवनी का काम कर रहे हैं। कोरोनावायरस का संक्रमण तेजी से गांवों में भी अपने पांव को पसार रहा है गांवों में आम जनता खांसी बुखार, जुखाम,और अन्य बीमारियों से त्रस्त है।

दवा के लिए अस्पतालों के चक्कर पर चक्कर लगा रहे हैं लेकिन बीमार स्वास्थ्य व्यवस्था के आगे सब बेबस हैं। ओपीडी बंद हो जाने के कारण उन्हें कोई मदद नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में यही ग्रामीण स्वास्थ्य सेवक जिन्हें लोग झोलाछाप के नाम से बदनाम करते हैं किसी देव दूत से कम नहीं है।लाॅकडाउन के साथ ही प्रवासी कामगारों की गांवों में वापसी ने ज्यादातर घरों में आर्थिक स्थिति बिगाड़ दिया है शहर से आकर गांवों में रोजगार का इंतजाम करने वाले लोगों के हालात और भी बदतर हो गए हैं ऐसे में गांव-गांव के लोग एक एक दो दो सप्ताह तक खांसी बुखार से जूझ रहे हैं बीमार हो रहे ग्रामीण अगर किसी तरह से हिम्मत करके शहर या गांव के सरकारी अस्पतालों में जा भी रहे हैं तो उनके हाथ में सिर्फ निराशा ही हाथ लग रही है। पूरे देश और प्रदेश के साथ ही जनपद के सभी ब्लाकों में शर्दी ,खांसी, बुखार, जुखाम से पीड़ित लोगों की तादाद बहुत तेजी से बढ़ रही है लेकिन ग्रामीण जनता बड़े डाक्टरों के ना मिलने तथा आर्थिक तंगी के कारण अब इन्हीं ग्रामीण स्वास्थ्य सेवकों से इलाज करा रहे हैं।

इसी स्थिति का जायजा लेने पहुंचे हमारे समाचार पत्र के संवाददाता से मुलाकात हुई ग्रामीण स्वास्थ्य सेवकों के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ प्रेम त्रिपाठी से तो बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि पिछले पांच सालों से मैं ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए इन ग्रामीण स्वास्थ्य सेवकों का रजिस्ट्रेशन कर प्रशिक्षित करने की मांग केंद्र एवं प्रदेश सरकार से करते हुए चाला आ रहा हूं लेकिन सरकार की ओर से कोई साकारात्मक कदम नहीं उठाया जा रहा आज जब पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है ऐसे में हमारे ग्रामीण स्वास्थ्य सेवक जिन्हें सरकार अपने आंखों की किरकरी समझती है अपना सबकुछ दांव पर लगा कर देश वासियों की सेवा में लगे हैं चाहे किसी ग्रामीण के पास एक भी पैसा ना हो लेकिन हमारे स्वास्थ्य सेवक पहले इलाज कर मानवता की सेवा करने में तत्पर हैं, डॉ प्रेम त्रिपाठी ने कहा कि जब से मैं अपने स्वास्थ्य सेवकों को प्रशिक्षित करने की मांग कर रहा हूं अगर सरकार ने प्रभावी ढंग प्रशिक्षित करने का कार्य किया होता तो शायद आज ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पर्याप्त मात्रा मौजूद होती श्री त्रिपाठी ने कहा कि

हमारे स्वास्थ्य सेवक देश वासियों की सेवा में लगे हैं और आगे भी सेवा करते रहेंगे लेकिन सरकार अगर इनकी सेवाओं को लेना चाह रही है तो हम सब तैयार है लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जब आज देश में स्वास्थ्य सेवाओं का घोर अभाव है ऐसे में यश्वी प्रधानमंत्री ने पेशेवर चिकित्सकों से 100 दिन स्वास्थ्य सेवा कराने की घोषणा किया है लेकिन बिना किसी प्रशिक्षण और कोविड 19 से बचाव हेतु बिना टीकाकरण तथा एक निश्चित बीमा के इन स्वास्थ्य सेवकों को मौत के मुंह ढकेलना इनके साथ ना इंसाफी होगी जो मैं नहीं होने दूंगा।

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवक वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के प्रदेश प्रवक्ता डॉ ए पी मिश्रा और जिला अध्यक्ष बस्ती का कहना है कि जब बड़े बड़े डाक्टर जो बड़ी-बड़ी फीस वसूलते हैं आफत की इस घड़ी में अपने अस्पतालों को बंद कर गायब हो गए हैं या तो बड़ी रकम लेकर आन लाइन मरीज को देख रहे उनके ऊपर महामारी ऐक्ट में मुकदमा दर्ज कराया जाए तथा हमारे ग्रामीण स्वास्थ्य सेवकों को बेहतर ढंग से प्रशिक्षण कराकर गांवों में सेवा करने का अवसर प्रदान किया जाए।

जब हमारे संवाददाता ने गांवों में जाकर इन स्वास्थ्य सेवकों के बारे में कुछ पूछना चाहा तो ग्रामीणों ने कहा कि अगर हमरे गांव और चौराहा पर इह सब डाक्टर साहब लोग ना होतिन तो हम सब के लिए बहुत संकट उत्पन्न हो जात क्योंकि अस्पतालों में डाक्टर देख नहीं रहे हैं ,हर तरफ कोरोना ही कोरोना है। ऐसे में इन गांवों के मासूम लोगों के खांसी, बुखार, जुखाम,पेट दर्द या अन्य परेशानियों में एक मात्र सहारा यही ग्रामीण चिकित्सक है ।

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