अयोध्या। वैष्णो नगरी अयोध्या विरक्त संत साधकों के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर हमेशा सैकड़ों संत अपनी तपस्या और साधुता के लिए जाने जाते रहे है और ठाकुर जी के साथ मानवता की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। सैकड़ों वर्ष पहले सियाराम शरण सखी जी महाराज ने वैष्णो सखी संप्रदाय के विरक्त मंदिर सरयूकुंज कि स्थापना साधु सेवा मानव सेवा और जी सेवा के लिए की थी। यह मंदिर जो विरक्त साधु परंपरा से जुड़ा हुआ है और सखी जी महाराज ने सेवक भक्तों से चंदा इकट्ठा करके सेवा के लिए स्थापित किया था। सखी जी महाराज के बाद महंत राममनोहरशरण सखी जी और उसके बाद महंत युगलकिशोरशरण महंत बने और 1990 में उन्होंने राममिलन शरण को अपना शिष्य बनाया और 2016 में उन्हें सरयू कुंज दुराही कुआं वशिष्ठ कुंड का विधिक रूप से महंत बना दिये।
मन्दिर के वर्तमान महंत राममिलनशरण ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से हमारे गुरुजी कुछ दुष्ट लोगों एवं परिवार की मोह में फंसकर मंदिर की परंपरा को बिगाड़ रहे है और हमको मंदिर से निकल जाने को कहने लगे है। कुछ लोगों और परिवार के बहकावे में हमारी हत्या करवाने तक की धमकी देते है। अगर मेरी हत्या होती है तो इनको दोषी माना जावे। जबकि मैं 30 वर्ष तक सेवा किया और आज भी मंदिर की सेवा भोग राग व्यवस्था कर रहा हूं। जबकि हमारे गुरुजी फरवरी 2021 में मंदिर पर सिविल सूट भी दायर कर दिया और 4 फरवरी 20 21 को रात्रि में हमें मारने के लिए कुछ अराजक लोगोको भी बुला लिये थे जिसकी सूचना मैंने पुलिस दी। वर्तमान समय में फिर हमको धमकी दे रहे हैं कि मंदिर छोड़ दो नहीं तो तुमको मरवा दूंगा। मंदिर विरक्त परंपरा का है हमारे गुरुजी परिवारिक मोह माया में फंस गए है मंदिर की परंपरा खराब कर रहे है। मैं जैसे पहले गुरुजी की सेवा करता था आज भी कर रहा हूं और करने के लिए तैयार हूं। लेकिन उन्हें परिवार की मोह माया को छोड़ना होगा। क्योंकि मंदिर समाज के पैसे से समाज की सेवा के लिए बनाया गया है। मुझे मारने की पूरी तैयारी चल रही है मैं प्रशासन से गुहार लगाता हूं कि मेरी सुरक्षा की जाए और मेरे ठाकुर जी की सुरक्षा की जाए। हमारे गुरु हमारी हत्या का षणयंत्र रच रहे है।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ