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विश्व शांति का संदेश देगा फ़िल्म सफेद पंख : धनंजय

वासुदेव यादव 

अयोध्या। आज जब पूरे विश्व में आधुनिकता के चलते अशान्ति का वातावरण बन रहा है तो शांति का पैगाम देने वाली फ़िल्मो की जरूरत महसूस की जाने लगी है। धनंजय पासवान जो फ़िल्म निदेशक व प्रोडूजर के रूप में उभर रहे है। उनको विश्व शांति की चिंता सताने लगी है। वे विश्व में शांति का पैगाम देने वाली फिल्म बनाने को बेताब दिख रहे है। इस विषय से सम्बंधित फ़िल्म पर वे कार्य आरम्भ कर चुके है। अगले वर्ष उनकी फ़िल्म सफेद पंख आ सकती है।

 विश्व प्रसिद्ध भगवान राम की नगरी आध्यात्मिक नगरी अयोध्या आएं फ़िल्म निदेशक व प्रोड्यूसर धनंजय पासवान ने हमारे अयोध्या जनपद के तिज़ारत प्रतिनिधि वासुदेव यादव से बताया कि सारे संसार को शांति अमन चैन का पैगाम हमारा देश भारत देता है। हम ऐसे फ़िल्म बना रहे है जिसकी धमक पूरे विश्व में होगी। इसी सिलसिले में अयोध्या आया हूं। वैसे श्री पासवान नालन्दा बिहार में जन्में है और जेनयू दिल्ली से फ़िल्म मेकिंग क्षेत्र में उच्च शिक्षा हाशिल किया है। उन्होंने कहा कि फ़िल्में स्टार, हीरो व बढ़िया स्टोरी से चलती है। हमारी स्टोरी गजब की है। यह संदेश देती है कि विश्व में शांति कैसे कायम होगा। अयोध्या शान्ति का प्रतीक स्थल है। अतः यहाँ आया हूं, कुछ सन्तों से मिला हूं व शूटिंग स्थल को भी देखा। यहां पर हर ओर ही आध्यात्म व शांति का वातावरण है। 

 उन्होंने कहा कि हिंसा विकास का मार्ग कदापि नही हो सकता है। हथियार का मुकाबला हमारा कैमरा शांति से करता है। सिनेमा अभिव्यक्ति का सबसे बड़ा व प्रभावी माध्यम है। अतः इसका विषय अच्छा व मार्गदर्शक, ज्ञानवर्धक, मनोरंजक शिक्षा प्रद होना चाहिए। पहले व आज की फ़िल्म बनाना अलग बात है।  उन्होंने कहा कि यह 50 करोड़ से ज्यादे की फ़िल्म होगी। जिसमें कलाकार भी बड़े होंगे व अन्य देश के भी होंगे । एक्शन भी जबरदस्त रहेगा। इस फ़िल्म की स्टोरी शांति का पैगाम देती है।  इसकी शूटिंग कनाडा, अयोध्या, जापान, नागाशाकी,  हिरोशिमा व  भारत देश के अन्य जगह है। यह फ़िल्म फैक्ट पर आधारित है। यह फ़िल्म शांति का एक उड़ान है। इसके बाद अन्य फ़िल्म भी आएंगी। 

   एक सवाल के जवाब में निदेशक धनंजय पासवान ने कहा कि फ़िल्म निदेशक को समाज पर फ़िल्म का क्या प्रभाव पड़ेगा पहले देखना चाहिए। समाज को नई दिशा व दशा प्रदान करने वाली फिल्म ही बनाना चाहिए। फ़िल्म का लक्ष्य सार्थक व पॉजिटिव होना चाहिए। फिल्मे समस्त मानव जाति पर बहुत ही तीव्र व व्यापक प्रभाव डालती है। अतः फिल्मों की विषय वस्तु बहुत ही उच्च स्तर का व अच्छी होनी चाहिए।

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