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गोण्डा:शिक्षा विभाग के गलत नीति के चलते ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़

रजनीश/ज्ञान प्रकाश

करनैलगंज(गोंडा)। कोरोना महामारी के चलते दो वर्षों से बन्द  रहे प्राथमिक स्तर के विद्यालयों में अब नौनिहालों में पढ़ने की ललक जगी है तो शिक्षकों की कमी उनकी पढ़ाई में रोड़ा डाल रही है। जूनियर स्तर के विद्यालयों में स्थिति और भी बदतर है।


शिक्षा विभाग की गलत नीति के चलते ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ साबित हो रहा है। मुख्य मार्ग एवं शहरी क्षेत्र के किनारे वाले परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक शिक्षिकाओं की संख्या में कोई कमी नहीं है।

वहीं ग्रामीण क्षेत्र के उन गांव में चल रहे विद्यालयों की स्थिति बेहद खराब है जहां वाहनों का कोई साधन नहीं है और दूरदराज के क्षेत्र में विद्यालय स्थापित है। 30 छात्रों पर एक शिक्षक का दावा हवा हवाई साबित हो रहा है। यहां 200 से अधिक छात्र-छात्राओं पर मात्र एक शिक्षक दिखाई दे रहे हैं। यह स्थिति कमोबेश 70 फ़ीसदी विद्यालयों की है।

नमूने के तौर पर करनैलगंज क्षेत्र का प्राथमिक विद्यालय टेंगनहा लिया जाए तो यहां 210 छात्र-छात्राओं की संख्या के सापेक्ष मात्र एक शिक्षिका की तैनाती है। शिक्षिका पूजा सिंह का कहना है कि 2 साल से विद्यालय बंद चल रहा था तो बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ती थी। ग्रामीण क्षेत्र में नेटवर्क, बिजली न होने तथा गरीब बच्चों के हाथ में एंड्रॉयड सेट न होने के कारण उन्हें ऑनलाइन नहीं पढ़ाया जा सका।

विद्यालय खुला है तो अब बच्चों में पढ़ने की एक जिज्ञासा जगी है। जिसमें शिक्षकों की कमी उनकी पढ़ाई में बाधक बन रही है। इसी तरह पूर्व माध्यमिक विद्यालय चतरौली के प्रधानाध्यापक दिनेश सिंह बताते हैं कि करीब 200 की छात्र संख्या पर मात्र में अकेले शिक्षक हैं और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो इसके लिए अपने वेतन से पैसा देकर एक प्राइवेट शिक्षक को रखा है। उसके साथ बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं।

ग्रामीण क्षेत्र में चल रहे प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है। शिक्षकों की कमी से करीब आधा दर्जन विद्यालय बन्द चल रहे हैं। करीब 40 विद्यालय ऐसे हैं जो एकल शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। यहां के शिक्षक की ट्रेनिंग, बैठक, बैंक कार्य, सामग्री उठान या अवकाश के समय विद्यालय बन्द रहता है। जिससे विद्यालय में शिक्षा के विस्तार का सरकारी दावा दूर दूर तक फेल होता नजर आ रहा है। 

खंड शिक्षा अधिकारी आरपी सिंह बताते हैं कि तमाम विद्यालय शिक्षकों के अभाव में बंद पड़े थे। जो नई भर्ती में आए शिक्षकों को तैनात कर खोल दिया गया है। मगर जहां एकल शिक्षक हैं वहां समस्या सामने आ रही है। जिसके लिए समायोजन या आने वाले नए शिक्षकों की तैनाती के लिए विभाग को पत्राचार किया गया है। उन्होंने माना कि बच्चों की संख्या अधिक और शिक्षकों की संख्या कम है। जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।

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