आर के गिरी
गोंडा। एक युवक को थाने में बैठाए रखने व आर्म्स एक्ट के तहत जेल भेजने के मामले ने तूल पकड़ लिया है।
अभी मजिस्ट्रेट की जांच प्रचलित है वहीं आयोग ने आरोपी पुलिस कर्मियों का गैर जनपद स्थानांतरण का निर्देश दिया है।
मानवाधिकार आयोग ने युवक के फर्जी गिफ्तारी के मामले का पुनः संज्ञान लिया है। आयोग के सदस्य ओपी दीक्षित ने पुलिस महानिरीक्षक देवीपाटन मंडल परिक्षेत्र गोंडा को पत्र भेजकर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
ग्राम चतरौली निवासी देवेंद्र प्रताप सिंह के प्रार्थना पत्र व आयोग के निर्देश पर बीते सितंबर माह में पुलिस के उच्चाधिकारियों ने सीओ कैंसरगंज से एक मामले की जांच कराई थी।
जिसमे कहा गया है, कि बीते 12 अगस्त की रात्रि करनैलगंज की पुलिस ग्राम चतरौली निवासी अद्रोंण प्रताप सिंह को उसके घर से पकड़कर कोतवाली ले गई थी।
कोतवाल प्रदीप कुमार सिंह की जानकारी में 14 अगस्त को चचरी मार्ग के विवियापुर अवधूत नगर तिराहे पर उपनिरीक्षक कौशल किशोर भार्गव व बृजेश कुमार गुप्ता, दीवान राजू व गिरजा शंकर के साथ सिपाही सत्येंद्र कुमार द्वितीय ने उसकी फर्जी गिरफ्तारी दिखाकर आर्म्स एक्ट का मुकदमा करके न्यायालय भेज दिया था।
जांच मे कोतवाल सहित सभी पुलिस कर्मी दोषी पाये गये। जिस पर पुलिस महानिरीक्षक द्वारा पुलिस अधीक्षक गोंडा को दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। मगर पुलिस अधीक्षक द्वारा दोषी पुलिस कर्मियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। आयोग ने पुलिस महानिरीक्षक को पुनः निर्देशित किया है कि दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध अपने अधीन किसी अन्य जिले के राजपत्रित अधिकारी से विभागीय व वैधानिक कार्रवाई कराने के साथ ही गैर जनपद स्थानांतरण करने के साथ ही 14 दिसम्बर तक कृत कार्यवाही को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
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