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किसानों को मोदी सरकार की नीति और नीयत पर नहीं है रंच मात्र भरोसा:प्रमोद तिवारी

सीडब्ल्यूसी मेंबर ने पत्रकार वार्ता में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर केंद्र की किया घेराबंदी

 एस के शुक्ला

 प्रतापगढ़। केन्द्रीय कांग्रेस वर्किग कमेटी के सदस्य तथा आउटरीच एण्ड कोआर्डिनेशन कमेटी के यूपी प्रभारी प्रमोद तिवारी ने कहा है कि तीन कृषि कानूनों को पीएम द्वारा वापसी के ऐलान के बावजूद अभी भी किसान को मोदी सरकार की नीति और नीयत पर विश्वास नही हो पा रहा है।



 उन्होने कहा कि किसानों की आशंका इसलिए बनी हुई है क्योकि प्रधानमंत्री ने कृषि कानूनों के वापस लेने की घोषणा मे यह कहकर कि सरकार एक वर्ग को चाहकर भी तीनों कृषि कानूनों की अच्छाईयां समझा नही पाई के जरिए यह आशंका जता दी है कि तीनों कृषि कानून की वापसी संभवतः यह किसान आंदोलन को झटका देने के लिए क्षणिक युद्ध विराम है।



 श्री तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री को अपनी घोषणा मे यह स्पष्ट करना चाहिये था कि सरकार कृषि कानूनों को देश भर के किसानो के विरोध के चलते वापस लेने का यह सरकारी निर्णय है। शनिवार को नगर स्थित क्षेत्रीय विधायक आराधना मिश्रा मोना के कैम्प कार्यालय पर पत्रकार वार्ता मे सीडब्ल्यूसी मेंबर प्रमोद तिवारी ने आत्मविश्वास के साथ कहा कि किसानो के इस आंदोलन मे सबसे महत्वपूर्ण समर्थन सड़क पर उतरकर उत्तर प्रदेश मे विरोध पक्ष का नेतृत्व कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने किया। 



उन्होने कहा कि गांव से लेकर प्रदेश स्तर तक कांग्रेस का किसान आंदोलन को खुला समर्थन व प्रियंका गांधी का तीन दिनों तक किसानो के हित के लिए सीतापुर जेल मे यातनाएं सहते हुए बिताये जाने के चलते भी मोदी सरकार इन तीनों काले कृषि कानूनो को वापस लेने के लिए मजबूर हो गयी।



 श्री तिवारी ने किसानों के अभी भी जारी आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि मोदी सरकार आखिर न्यूनतम समर्थन मूल्य की भी इसी समय घोषणा क्यूं नही कर रही है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने छत्तीसगढ़ मे कांग्रेस सरकार का उदाहरण रखते हुए कहा कि जब तक मोदी सरकार किसानों के धान व गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी पचीस सौ रूपये प्रति क्विंटल न कर दे किसान आंदोलन इसी तरह शांतिपूर्ण एवं लोकतांत्रिक ढंग से जारी रखा जाना चाहिये। 



सीडब्ल्यूसी मेंबर प्रमोद तिवारी ने केंद्र सरकार से कांग्रेस की तरफ से यह भी पुरजोर मांग रखी कि सरकार एमएसपी से कम पर धान तथा गेहूं खरीदने वालो के कृत्य को कानून के जरिए संज्ञेय अपराध भी घोषित करे। वार्ता के दौरान प्रमोद तिवारी ने भाजपा सरकार पर तंज कसा कि मोदी सरकार ने तीनों काले कृषि कानून को वापस ले लिये जाने की घोषणा अपना अस्तित्व बचाने के लिए करने को मजबूर हुई है। 



उन्होनें किसान आंदोलन से जुडे मौजूदा सियासी हालात को भी स्पष्ट करते हुए कहा कि हरियाणा मे अल्पमत भाजपा सरकार से दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के दस विधायको ने विधेयक वापस न लेने की स्थिति मे समर्थन वापसी की मजबूरी बयां कर दी थी।


 बकौल प्रमोद तिवारी ऐसे मे हरियाणा सरकार चंद दिनों की मेहमान थी और उसका गिरना तय हो गया था।

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