ज़िम्मेदार 11 माह बाद भी नहीं दिला पाए दूसरी क़िस्त,हुई शिक़ायत
कमलेश जयसवाल
खमरिया खीरी :प्रधानमंत्री आवास योजना में एक तरफ जहा लाभार्थियों को ताला चाबी भेंट कर सरकार अपनी योजना का व्यख्यान कर रही है वहीं धौरहरा तहसील में प्रधानमंत्री आवास योजना मे हुई खामियों के चलते पहली किस्त पाने के बाद दूसरी क़िस्त पाने के लिए एक वर्ष से लाभार्थी खंड विकास अधिकारी के चक्कर लगाने को विवश है।
ऐसे ही एक ही परिवार के दो मामले सामने आने के बाद अधिकारी अपना दामन बचाकर दूसरों पर इस बड़ी खामी का ठीकरा फोड़ने में जुट गए।
बावजूद लाभार्थियों को दूसरी क़िस्त न मिल पाने के कारण उनके आवास आधे अधूरे पड़े है।
धौरहरा ब्लॉक की ग्राम पंचायत समदहा निवासी रामदेवी पत्नी रामनरेश व राधा देवी पत्नी कौशल किशोर ने उपजिलाधिकारी को दिए गए शिकायती पत्र में बताया कि पिछले करीब एक वर्ष पहले उनको प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास की पहली किस्त दी गई थी जिससे उन्होंने आवास का निर्माण शुरू करवा दिया।
इस दौरान ग्राम पंचायत अधिकारी निर्माणाधीन आवास की कई बार जांच भी की पहली किस्त में मिले 40000-40000 रुपये निर्माण कार्य मे खर्च होने के बाद काम बन्द कर दूसरी क़िस्त आने का इंतजार करने लगे पर कई महीने बीत जाने के बाद भी दूसरी किस्त नहीं मिली तो ब्लॉक पर बैठे बाबू,ग्राम व ग्राम पंचायत अधिकारी से संपर्क किया बावजूद कोई हल नहीं निकला उल्टे दोनो को बताया गया कि उनका पैसा किसी दूसरे के खाते में चला गया है बैंक जाकर स्वयं पता करो।
ब्लॉक पर बैठे बाबू व ग्राम पंचायत अधिकारी की हीलाहवाली देख पीड़ितों ने जब इधर उधर पता किया तो उनको आनलाइन किस्त जारी होने की जानकारी मिली।
जिसको लेकर लाभार्थियों ने महीनों तक ब्लॉक के चक्कर लगाने के बाद उपजिलाधिकारी समेत मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत कर कर आवश्यक कार्रवाई करवाने की मांग की है।
वहीं इस बाबत ग्राम पंचायत अधिकारी पुष्पा रानी ने बताया कि
" भुगतान प्रक्रिया आधार बेस होने के चलते दूसरी किस्त का पैसा किसी दूसरे के खाते में चला गया है ।
खंड विकास अधिकारी के माध्यम से बैंक को पत्र भेज दिया गया है । अग्रिम कार्रवाई बैंक स्तर से होनी है ।" फिलहाल कुछ भी हो इस तरह के वाक्या को देख यह अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है कि शासन की मंशा के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना गरीब लाभार्थियों तक पहुचाने को लेकर जिम्मेदार कितना गंभीर है।
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