आयुष मौर्या
धौरहरा खीरी। तहसील धौरहरा क्षेत्र में जहां आपूर्ति विभाग में कोटेदारो द्वारा कम राशन देने के मामले तो आम तौर पर हमेशा सुर्खियों में रहे है ।
भ्रष्टाचार के एक नए मामले ने न्यायपालिका का मतलब ही बदल कर रख दिया। क्योकि भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर जहां दुकान संचालक की दुकान निरस्त करने की न्याय पालिका में न्यायिक प्रक्रिया है।
वहीं तहसील धौरहरा में तैनात जिम्मेदारों ने न्यायिक प्रक्रिया को बदलने का प्रयास अवश्य किया है जिसके चलते भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर धौरहरा कस्बे के सरकारी सस्ते गल्ले के दुकान संचालक की दुकान निरस्त होने के बावजूद भी राशन का उठान व विरतण बदस्तूर जारी है।
मामला नगरपंचायत धौरहरा स्थित सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान का है। जहां संचालक राधेश्याम की अनियमितताओं व भ्रष्टाचार के चलते जिला आपूर्ति अधिकारी द्वारा न्यायपालिका की न्यायिक प्रक्रिया अपनाते हुए दुकान निरस्त की गई थी। और राधेश्याम के राशन उठाने और वितरण पर रोक लगा दी गयी थी।
जिसको बहाल कराने के लिए संचालक राधेश्याम द्वारा हरसंभव प्रयास किया गया। न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया लेकिन राधेश्याम पर भ्रष्टाचार के कई मामले होने के चलते 16 फरवरी को पिटीशन निरस्त कर दिया गया।
फिर भी राधेश्याम द्वारा सिसैया स्थित गल्ला गोदाम से राशन का उठान कर वितरण भी कर दिया गया। और जिम्मेदार आदेश न मिलने का राग अलापते रहे।
वहीं दुकान संचालक राधेश्याम से जब मामले में जानकारी ली गयी तो जिम्मेदार अधिकारियों से आशीर्वाद प्राप्त कर उठान व वितरण की बात कही गयी।
जिससे स्पष्ट है कि जिम्मेदार अधिकारी निजी हितों के चलते न्यापालिका की न्याय प्रणाली का मतलब भी बदलने में परहेज नही कर रहे है।
यदि यही आलम रहा तो न्याय और न्याय पालिका का मतलब ही समाप्त हो जाएगा। सिर्फ भ्रष्ट अधिकारियों का राज होगा। सजा सिर्फ फाइलों में शब्द बन कर रह जायेगी।
बृजेश मिश्र पूर्ति निरीक्षक धौरहरा
" न्यायालय ने दुकान निरस्त की गई है पर न्यायालय के आदेश के बाद भी ग्रामीण क्षेत्र की दुकानों के लिए एसडीएम व नगर की दुकानों के लिए डीएम स्तर से आदेश जारी होने के बाद उठान व वितरण बन्द किया जाएगा ।"
धीरेंद्र सिंह एसडीएम धौरहरा
" मामला जानकारी में नही है मामले की जांच की जाएगी।"
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