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विलुप्त हो रहे देशी नाच "हुडूक" को देख लोगों के ठिठक गए कदम


देखिए झलक
वर्षों पहले शादी व्याह,मुण्डन संस्कार में होता था हुडूक

हरीश अवस्थी

धौरहरा-लखीमपुरखीरी:धौरहरा क्षेत्र में विलुप्त हो रहे देशी नाच हुडूक को रविवार को देर सायं होता देख लोगों की असमय ही भीड़ लग गई। 


सड़क से गुजर रहे लोग संतोषी माता मंदिर पर एक मुण्डन संस्कार में हो रहे देशी नाच हुडूक को देखने के लिए ठिठक गए। 


इस दौरान लोगों ने बताया कि वर्षों पहले इसी नाच को शादी व्याह,मुण्डन आदि कार्यक्रमों में करवाया जाता था। आजकल इसके दर्शन दुर्लभ हो रहे है।


ईसानगर क्षेत्र के गांव अल्लीपुर मजरा तमोलीपुर में स्थित माता संतोषी के दरबार मे लालपुर गांव से सायं करीब 6 बजे मुण्डन संस्कार करवाने आये भग्गू लाल पुराने जमाने का चर्चित नाच हुडूक बंधवाकर लाये थे। 


जिसके शुरू होते ही मंदिर परिसर में विलुप्त हो रहे नाच को देखने वालों की भीड़ लग गई। 


सड़क से गुजरने वाले लोगों के कदम नाच देखने के लिए ठिठक गए। वहीं नाच कंपनी के मालिक झब्बूलाल निवासी रायपुर ईसानगर ने बताया कि आजकल इस नाच को चंद लोग ही क़रवाते है। 


बहुत दिनों बाद बुकिंग मिली तो खुशी खुशी साजबाज फिट करवाकर चला आया। साथ ही झब्बू लाल ने बताता कि वर्षों पहले यह नाच प्रसिद्ध था जब से बैंड बाजा व डीजे एवं पर्दा आ गया तभी से यह विलुप्त होता चला गया। 


 इस नाच में ढोल नुमा हुडूक,झांझ व चिकारा का प्रयोग किया जाता है। इसको 4 से 8 लोग मिलकर करते है। अब क्षेत्र में उनके सिवाय यह नाच व साजबाज किसी अन्य के पास नहीं है। 


इसको सही से करवाने के लिए उन्होंने

रामलाल नौरंगपुर ईसानगर, भगौती बेल्तुआ,राम प्रसाद भकुरैहा, दुबर मूडी ईसानगर, जगदीश पिपरिया धौरहरा,पुत्तीलाल भौवापुर धौरहरा,रामकुमार गिरगिट्टी जनपद बहराइच को बुलाकर कार्यक्रम करने का बयाना लिया है।


चार से पांच हजार में होती है बुकिंग


कंपनी के मालिक झब्बूलाल ने बताया कि जिसकी हुडूक नाच की  बुकिंग 4000 से 5000 रुपये में ली जाती। जिसमें करीब 12 से 16 घंटे तक काम किया जाता है। 


इससे मिलने वाले रुपयों को सभी कलाकार मिलकर लेंगे। जिससे उनके परिवार का खर्च निकल आएगा। 


हालांकि उन्होंने बताया कि जब से लोग इस नाच को भुलाकर बैंड बाजा व डीजे को तरजीह देने लगे तभी से वह सभी जीवन यापन करने के लिए दूसरे कामों में लग गए। शुरुआती दौर में परेशनी हुई थी पर धीरे धीरे आदत पड़ गई।

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