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करनैलगंज:धर्मसभा कमेटी के पदाधिकारियों व तहसील के अधिवक्ताओं के बीच का विवाद पकड़ने लगा तूल



रजनीश/ज्ञान प्रकाश

करनैलगंज(गोंडा)। रास्ते के विवाद को लेकर सबसे पुरानी धर्मसभा कमेटी के पदाधिकारियों व तहसील के अधिवक्ताओं के बीच का विवाद तूल पकड़ने लगा है। 


बीते शनिवार को अतिक्रमण हटाने गये राजस्व कर्मियों व कुछ लोगों के बीच हुई झड़प के दौरान अधिवक्ता हृदय नारायन मिश्रा घायल हो गए थे। जिससे अधिवक्ताओं में काफी रोष व्याप्त हो गया था। 


अधिवक्ता त्रिलोकीनाथ तिवारी ने धर्मसभा कमेटी पर कई आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी। जिस पर धर्मसभा कमेटी के अध्यक्ष अमित सिंघानियां ने अधिवक्ता द्वारा लगाये गये आरोपों का जबाब देते हुए इसे अधिवक्ता वर्ग की लड़ाई न बता कर कुछ लोगों से जमीनी विवाद बताया। 


उन्होंने आरोप साबित करने के लिए एक हफ्ते का अल्टीमेटम दिया। साबित न होने पर एक करोड़ की मानहानि का केस किये जाने का दावा किया है। 


उन्होंने कहा कि जो संस्था आजादी के पूर्व से हिन्दू हित के लिए 1929 में स्थापित हुई, जो हिन्दू धर्म एवं मन्दिरों से सम्बद्ध है, उस पर ऐसा मिथ्या आरोप लगाना गलत है। 


संस्था को मिला समस्त  दान स्वरूप भूमि संरक्षित व सुरक्षित है। विगत 30 वर्षो से किसी भी प्रकार का कोई अनाज नहीं लिया जाता है। सैकडों वर्ष पूर्व से जिले का इकलौता संस्कृत महाविद्यालय भवन स्थापित है। वहां कोई सार्वजनिक रास्ता न तो कभी था और न वर्तमान में है । 



फिर भी तथाकथित कुछ काले कोट वाले फर्जी लोग उसपर रास्ते की मांग कर रहे हैं। धर्म सभा कमेटी की जांच करने का कोई औचित्य व अधिकार किसी अधिवक्ता का नही है। जिन लोगों ने धर्मसमा कमेटी एवं व्यक्तिगत  उनपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर छवि धूमिल करने का प्रयास किया है, उसको एक हफ्ते में साबित करे, नही तो एक करोड़ की मानहानि का केस वह जल्द ही करेंगे। 


जिस भवन पर रास्ते की बात कर रहे हैं उस भवन का हाउस टैक्स 1964 से निरन्तर नगर पालिका परिषद को भुगतान किया जा रहा। अधिवक्ता समाज ऐसे काले कोट वालों का संज्ञान ले और कार्रवाई करे।  


कोर्ट निर्णय व जुर्माने पर जवाब देते हुए कहा कि उन्हें सीधे पार्टी न बनाकर सरकार को पार्टी बनाकर केस में निर्णय व जुर्माना करा लिया गया। उन्हें सुना ही नही गया। कहा कि वह इस जमीन विवाद के मामले को लेकर आगे कोर्ट जाएंगे।


दूसरी तरफ अधिवक्ता त्रिलोकीनाथ तिवारी ने कहा कि धर्म सभा कमेटी के पदाधिकारियों ने अधिवक्ताओं को अपमान भरी बात कहा है कथित काली कोट व कलंक बताकर घोर अपमान किया हैं 


इसके विरोध मे अधिवक्ता समाज उनके ऊपर पांच करोड़ की मनि हानि करेगा। जिसको मजिस्ट्रेट अतिचारी घोषित कर चुका हो वह मानहानी क्या करेगा। उन्होंने जिस अधिवक्ता समाज को कथित और कलंक बताया है उसी से सलाह ले लेनी चाहिए। 


अधिवक्ता ने आरोप लगाते हुए कहा कि धर्म सभा की भूदान आंदोलन की जमीनों को किसके अनुमति से बेचा गया। 1929 से कट रहा धर्मादा का अंश का क्या हुआ। संस्कृत विद्यालय के कमरों को गोदाम क्यों बनाया गया ।


धर्मसभा कमेटी के खातों को सार्वजनिक करे। धर्मसभा कमेटी किसानों के धर्मादा दान से बनी हैं। उन्होंने कहा कि गोशाला की जो जमीनें है या थी वह इनके पूर्वजों की नही थी वह महान संत आचार्य विनोवा भावे द्वारा रजवाड़ों व जमीदारो से दान में ली गई जमीनें थी जिसको या तो भूमिहीन को देने का विधान था या फिर गौशाला मे ही उपयोग हो सकता था। 


उस पर किसी अतिचारी का अधिकार नहीं हो सकता है। सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण का मुकदमा, कूट रचना करके गोशाला की भूमि बेचने का मुकदमा, धर्म सभा कमेटी की जमीन पर गाड़ी बाजार मे घर बनवा कर संस्था की जमीन कूट रचना करके अपने नाम दर्ज कराने का मुकदमा, धर्म सभा कमेटी का धन घोटाला करके अपना व्यापार चलाने का कदाचार का मुकदमा अधिवक्ता समाज दर्ज कराएगा।

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