राकेश गिरी
बस्तीः पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आशा कार्यकत्रियों ने आयुक्त कार्यालय के गेट पर दो दिवसीय धरना शुरू कर दिया। आन्दोलित आशायें खुद को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिये जाने की मांग कर रही है। भाजपा की ओर से आन्दोलन को कुचलने का प्रयास आशाओं की एकजुटता के आगे विफल रहा।
आशा बहू स्वास्थ्य समिति उत्तर प्रदेश की मंडल अध्यक्ष विमला यादव धरनारत आशाओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि हम आशा कार्यकत्रियां अपने हक को लेकर आन्दोलित हैं, हमारा सहयोग करने और हमारी समस्या हल करने की बजाय भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा कार्यकत्रियों को हतोत्साहित करना निंदनीय है। उन्होने कहा हम केवल भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को उनका वादा याद दिला रहे हैं। पार्टी के नेता खुद कहते हैं कि उनकी पार्टी के कथनी करनी में कोई अंतर नही है।
मंडल अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कप्तानगंज में आयोजित जनसभा में स्वयं अमित शाह ने आशाओं को सामाजिक सुरक्षा देने का वादा करते हुये राज्य कर्मचारी का दर्जा और सुविधायें देने की बात कही थी। लखनऊ मे भी प्रदर्शन के दौरान देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी आशाओं को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने का वादा किया था। इसकें लिये उन्होने 90 से 120 दिनों का वक्त मांगा था। केन्द्र में सरकार ने साढ़े तीन साल पूरे कर लिये, 6 माह से ज्यादा यूपी सरकार के गठन हुये बीत गये, सरकार ने अपना वादा पूरा करने की दिशा में कोई ठोस कदम नही उठाया। मजबूर होकर आशाओं को आन्दोलित होना पड़ा। धरने में पहुचे कांग्रेस अध्यक्ष वीरेन्द्र प्रताप पाण्डेय, नेता अंकुर वर्मा ने आशाओं की मांगों को जायज बताते हुये हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया।
पहले दिन आयोजित धरने को जिलाध्यक्ष प्रीती उपाध्याय, अन्नपूर्णा दुबे, कनकलता मिश्रा, उर्मिला चौधरी, नीलम वर्मा, अर्चना पाल, इन्दुमती पांडे, इन्द्रावती चौधरी, अनामिका शुक्ला, जानकी पांडे, सुशीला यादव, संगीता यादव, शीला देवी, संगीता देवी, नीतम शुक्ला, रूपा देवी, संजू चौधरी, कुसुमलता त्रिपाठी, शैलेन्द्री श्रीवास्तव, चित्रकला सिंह, अखिलेश देवी, उदय प्रताप शुक्ला, फूलचंद चौधरी, जगराम यादव आदि ने धरने को सम्बाेधत किया।
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