प्रधान व ग्राम पंचायत सचिव का खेल
सत्येन्द्र खरे
कौशांबी : सेलरहा पश्चिम गांव में शौचालय निर्माण योजना का घोटाला प्रकाश में आया है। गांव के सभी शौचालय को दस्तावेजों में पूर्ण दिखा दिया। जब कि अब तक 77 शौचालय का निर्माण पूरा नहीं हो सका। गांव के एक युवक ने इस मामले को लेकर आरटीआई लगाई तो प्रधान व सचिव हरकत में आ गए। गांव में चोरी छिपे अधूरे शौचालय का निर्माण शुरू कर दिया। इसके साथ ही पुरानी सूची के स्थान पर उसे दूसरी सूची दे दी। जिसमें लक्ष्य को पूरा की हड़बड़ी में ऐसे लोगों के नाम भी सूची में शामिल कर दिया गया जो स्वयं शौचालय बनाकर प्रयोग कर रहे थे।
सिराथू विकास खंड क्षेत्र के सेलरहा पश्चिम गांव में वर्ष 2014-15 में 174 शौचालय के निर्माण के लिए धन आया था। ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव ने शौचालय निर्माण को लेकर जमकर बंदरबंट किया। आधे-अधूरे शौचालय का निर्माण कराते हुए पूरा धन निकाल लिया। इन शौचालय में 77 शौचालय का अब तक निर्माण नहीं हो सका। इसको लेकर गांव के लोगों ने विरोध किया तो उनको किसी तरह डरा धमका कर शांत कर दिया गया। गांव के ही अजय कुमार मौर्य ने मामले को लेकर सूचना के अधिकारी का प्रयोग किया तो कई चौकाने वाली जानकारी सामने आई। पहले तो उसे नेट से निकालकर सूची दी गई। इसके बाद ग्राम पंचायत अधिकारी ने इस सूची को गलत बताते हुए दूसरी सूची उसे दे दी। ग्राम पंचायत सचिव ने पहले सूची वापस करने के लिए युवक पर दबाव भी बनाया। जिसको लेकर अजय ने अधिकारियों से शिकायत की है।
निजी शौचालय भी योजना में शामिल
- सूचना के अधिकार के तहत अजय कुमार को सौंपी गई। सूची में प्रधान व ग्राम पंचायत सचिव ने 174 शौचालय का लक्ष्य पूरा करने के लिए उन शौचालय को भी शामिल कर लिया है जिनका लोगों ने निजी धन से निर्माण कराया गया। अजय का आरोप है कि आरटीआइ से जानकारी मांगे जाने के बाद से प्रधान व सचिव अधूरे शौचालय का निर्माण करा रहे है। इसके साथ ही निजी शौचालय का रंगरोगन कराया जा रहा। अजय ने पूरे मामले की जांच कराते हुए दोषी प्रधान व सचिव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
1800 पेज के जगह दी 200 पेज की जानकारी
- अजय से सूचना के अधिकारी के तहत जानकारी देने के नाम पर 3460 रुपये जमा कराया गया। इसके साथ ही कहा गया कि सूचना करीब 1800 पेज में पूरी होगी, लेकिन जब अजय को सूचना दी गई तो उसमें केवल 200 पेज थे। इस बात को लेकर भी अजय ने अधिकारियों से विरोध दर्ज कराया है।
क्या कहते है जिम्मेदार
पहले बनाई गई एमआइएस सूची में गड़बड़ी हो गई थी। जब शौचालय निर्माण शुरू हुआ तो कई लोग अपात्र मिले। इसलिए सूची को बदला गया है। इसमें गड़बड़ी का आरोप निराधार है और गांव में सभी शौचालयों का निर्माण पूरा हो गया है।
रमेश सोनकर, सचिव, सेलरहा पश्चिम


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