अलीम खान
अमेठी. कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं अमेठी सांसद राहुल गांधी को संसदीय क्षेत्र को छोड़े 8 घंटे भी नहीं बीते थे, कि कांग्रेस के प्रदेश महासचिव एवं पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री जंग बहादुर सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। बताया जा रहा है कि वो आगामी 10 अक्टूबर को वो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के सामने बीजेपी ज्वाइन करेंगे। वैसे उनके पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को खासा नुकसान हो सकता है। इस बारे में क्राइम जंक्शन आपको इससे सम्बंधित कुछ जानकारियां दे रहा है।
2002 में बीएसपी के टिकट पर बने थे विधायक
पूर्व मंत्री जंगबहादुर सिंह का शुमार अमेठी के गौरीगंज इलाके में कद्दावर नेताओं में शुमार होता है। उन्होंने वर्ष 2002 में बीएसपी के सिम्बल पर असेम्बली इलेक्शन लड़ा था, और उस समय उन्होंने कांग्रेस के पूर्व एमएलए स्व. नूर मोहम्मद के पुत्र फ़तेह बहादुर को 7500 वोटों से शिकस्त दिया था। उन्हें 38 हज़ार 722 वोट मिले थे। जिसके बाद उन्हें बसपा सरकार में राज्य भंडारा निगम का अध्यक्ष बनाया गया था।
गोपाल जी और जंग बहादुर में चल रही रार
इसके बाद से जंगबहादुर अमेठी की सक्रिय राजनीति में पेश-पेश रहने लगे, इस कारण क्षत्रियों का एक बड़ा तबका भी इनसे जुड़ा। जिससे वो जामो के राजा एवम सपा एमएलसी राजा गोपाल जी के निशाने पर आ गए। इस नतीजे में एक गैंगवार में पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री की जान भी गई थी।
एमएलसी बनाए जानें का था आफर
इसके बाद से लोगों का रुझान जंगबहादुर की तरफ और बढ़ गया। जिसे देख प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने उन्हें एमएलसी बनाने का न्योता दे डाला। लेकिन हाल में गोटे चेंज हो गई और पासा पलट कर दूसरी तरफ चला गया। जिसको लेकर श्री सिंह काफी नाराज़ चल रहे थे।
कांग्रेस की नीतियों से नाराज़ होने का दिया हवाला
शुक्रवार को अपने 3 दिवसीय दौरे को निपटाकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अभी दिल्ली पहुंचे ही थे, कि इसी रात क़रीब 8 बजे के आसपास जंगबहादुर ने कांग्रेस प्रदेश महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह ये बताई कि वो पार्टी की नीतियों से खुश नहीं हैं। आपको बता दें कि श्री सिंह की गिनती गांधी परिवार के करीबियों में होती रही है।
बीजेपी को जंगबहादुर के रूप में मिलेगी मज़बूती
उधर बताया जा रहा है कि पूर्व मंत्री और उनके समर्थक सभी लामबंद हो गए हैं, और 10 अक्टूबर को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के समक्ष वो बीजेपी ज्वाइन कर सकते हैं। भरोसेमंद सूत्रों की मानें तो बीजेपी में उनकी ज्वाइनिग की अहम वजह ये है के बीजेपी गौरीगंज विधानसभा में कमज़ोर चल रही थी। एक कद्दावर नेता थे पूर्व विधायक तेजभान सिंह जो की 75 की उम्र के आसपास हो चलें हैं। दूसरा चेहरा था बीजेपी जिलाध्यक्ष उमाशंकर पाण्डेय का जिन्हें पार्टी ने हाल में सम्पन्न हुए असेम्बली इलेक्शन में विरोध के बावजूद टिकट भी दिया, लेकिन उन्होंने पार्टी की लोटिया डूबो दी। ऐसे में जंगबहादुर सिंह के बीजेपी में शामिल होने से पार्टी को काफी मज़बूती मिलेगी।



एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ