मनीष ओझा
प्रतापगढ । जिले के विकासखंड मान्धाता के पर्वतपुर में श्री राम लीला मंचन के दौरान लक्ष्मण शक्ति का मंचन किया गया। जहां दिखाया गया राम व लक्ष्मण की सेनाएं आमने सामने खड़ी थी। इस दौरान रावण की ओर से उनका पुत्र मेघनाथ आया और उसने ब्रम्ह शक्ति का तीर चलाया। जो लक्ष्मण को जाकर लगा। जैसे ही श्री राम की सेना को यह खबर लगी, तो रामा दल में कोहराम मच गया। युद्ध क्षेत्र से हनुमान जी लक्ष्मण को उठाकर ले आए। जहां वैध ने उन्हें संजीवनी बूटी से सही होने के बारे में बताया।।युद्ध मे कुछ मारे गए, कुछ घायल हुए। रात हुई जानकर वानरों की चारों सेनाएँ (टुकड़ियाँ) वहाँ आईं, जहाँ कोसलपति श्री रामजी थे। श्री रामजी ने ज्यों ही सबको कृपा करके देखा त्यों ही ये वानर श्रमरहित हो गए । वहाँ (लंका में) रावण ने मंत्रियों को बुलाया और जो योद्धा मारे गए थे, उन सबको सबसे बताया।दूसरे दिन पुनः लक्ष्मण से युद्ध मे मेघनाथ मारा गया। निरन्तर युद्ध आगे बढ़ता गया। राम और रावण के युद्ध में आकाश ऊँचे चढ़कर वह बहुत से अंगारे बरसाने लगा। पृथ्वी से जल की धाराएँ प्रकट होने लगीं। माया देखकर वानर अकुला उठे। वे सोचने लगे कि इस हिसाब से इसी तरह रहा तो सबका मरण आ बना। यह कौतुक देखकर श्री रामजी मुस्कुराए।
उन्होंने जान लिया कि सब वानर भयभीत हो गए है।तब श्री रामजी ने एक ही बाण से सारी माया काट डाली, जैसे सूर्य अंधकार के समूह को हर लेता है थे। राम की भूमिका में अखिलेश चंद्र पांडेय, लक्ष्मण की भूमिका में विजय सिंह,सीता की भूमिका में सुमित सिंह , भरत की भूमिका दीपक देव ,रावण की भूमिका भैरव बक्स सिंह, विभीषण की भूमिका सूर्यमणि त्रिपाठी ,अंगद की भूमिका अभिषेक सिंह ,सुग्रीव की भूमिका हर्षित सिंह, सुखेन वैध की भूमिका डॉ मान सिंह ,हनुमान की भूमिका ब्रम्हप्रताप शुक्ल ,कुंभकरण की भूमिका संतोष सिंह ने की।
इस दौरान एडवोकेट अमन सिंह ,अध्यक्ष वंशबहादुर सिंह ,स्टेज डायरेक्टर हरिकेश सिंह, धर्मेंद्र पटेल,ज्ञान सिंह मुखिया, ओमप्रकाश श्रीवास्तव तथा राजेंद्र प्रताप सिंह व नीलेश सिंह ने सभी के प्रति आभार जताया।



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