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भगवान की आराधना मे मिलती है परमानन्द की अनुभूति:स्वामी श्रीधराचार्य


भागवत कथा ज्ञान यज्ञ मे बहीं भक्ति की रसधार

लालगंज प्रतापगढ़। कस्बे के पुनीत इण्टर कालेज मे हो रही भागवत कथा के दूसरे दिन बुधवार को जगदगुरू स्वामी श्रीधराचार्य जी महराज ने कहा कि मनुष्य को विषयों के सेवन तथा काम क्रोध व मद तथा लोभ से बचकर भगवान की सदैव सच्चे मन से उपासना करनी चाहिये। स्वामी श्रीधराचार्य जी ने कहा कि भक्ति का भगवान से शाश्वत सम्बन्ध है, अंतःकरण से भगवान का स्मरण दुःखों के भवसागर से मनुष्य को पार लगा देता है तथा सच्ची आराधना से भक्त को परमानंद की अनुभूति भी हुआ करती है। कथा को आगे बढ़ाते हुये स्वामी जी ने कहा कि भक्ति के आंतरिक संबंधों की पवित्र रक्षा के लिये भगवान द्रोपदी चीरहरण मे वस्त्र बन गये। उन्होनें कहा कि भगवान से सच्ची भक्ति किसी सुचरित्र पर दुशासन की कुदृष्टि को भी क्षण भर मे मिटा देती है। स्वामी धराचार्य जी ने कहा कि भगवान का भजन और प्रतिदिन उपासना से मनुष्य को अपने समस्त एैच्छिक सुख का भी मंगल मिला करता है। स्वामी जी ने सामाजिक समरसता के लिये भगवान कृष्ण के मनुष्य को आपस मे प्राणी प्रेम के धर्म के निर्वहन का भी संदेश दिया। कथा के संयोजक डा0 वीरेन्द्र मिश्र एवं डा0 पूर्णिमा मिश्र ने स्वामी जी व संत मण्डल का श्रीअभिषेक किया। इस मौके पर दयाशंकर पाण्डेय, डा0 राजकुमार पाण्डेय, पं. रामफेर पाण्डेय, अनीता पाण्डेय, डा0 दुर्गा प्रसाद ओझा, डा0 नीलम ओझा, डा0 पूजा मिश्रा, डा0 सौरभ मिश्र, डा0 शक्तिधर नाथ पाण्डेय, प्रधानाचार्य बीएन तिवारी, प्रधानाचार्य सुनील शुक्ल, इं. सुनील पाण्डेय, प्रो0आरपी शुक्ल, डा0 आरएस त्रिपाठी आदि रहे। इं. जितेन्द्र त्रिपाठी ने कथा का सफल प्रबन्धन कर लोगों के प्रति आभार जताया। 

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