सुनील गिरी
हापुड़ । नगर निकाय चुनाव को यूं तो छोटा चुनाव माना जा रहा है, लेकिन इस चुनाव से क्षेत्रीय विधायकों और सांसदों की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। सांसद और विधायकों के साथ राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों पर भी पार्टी प्रत्याशियों को जिताने का दबाव है। स्थानीय स्तर का चुनाव होने से प्रत्याशी और मतदाता एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते हैं, इसलिए हर जगह मुकाबला रोचक होने के आसार दिखाई दे रहे हैं। चुनाव परिणाम के आधार पर पदाधिकारियों का कद भी बढ़ाया, घटाया जा सकता है।
जिले में नगर पालिका परिषद और वार्ड सदस्य पदों के लिए 22 नवंबर को मतदान कराया जाना है। चुनाव प्रचार 20 नवंबर की शाम को खत्म हो जाएगा। अब प्रचार के लिए महज चार दिन का समय बचा है। प्रत्याशियों ने दिन-रात एक कर दिया है, वहीं सांसद और विधायकों ने भी पार्टी प्रत्याशियों को जिताने के लिए मोर्चा संभाल रखा है। भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में उच्च पदाधिकारी चुनावी जनसभा कर रहे हैं और जिला स्तरीय पदाधिकारियों के अलावा सभी विधायकों ने भी क्षेत्रीय निकायों में वर्चस्व कायम करने के लिए दमखम दिखा रहे हैं। सपा के पदाधिकारी गत दिवस जिले का भ्रमण कर चुके हैं। जिले में डेरा डालने आ रहे हैं। अब वह 20 नवंबर तक यहीं जमे रहेंगे। बसपा और कांग्रेस के जिले के पदाधिकारी ही प्रत्याशियों के पक्ष में जनसमर्थन जुटाने में लगे हुए हैं। चुनाव में अभी किसी को कमजोर नहीं आंका जा सकता, सभी दमखम दिखा रहे हैं, लेकिन चुनाव परिणाम से बहुत से उन नेताओं का भी भविष्य तय होगा, जो चुनाव तो नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं।
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