राज कुमार शर्मा
नानपारा,बहराइच:- सीमावर्ती विकासखंड नवाबगंज क्षेत्र अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय गंगापुर जैतापुर अपनी बदहाली पर इन दिनों आंसू बहा रहा है। एक तरफ केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक सभी आला अधिकारी व मुख्या भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही करने का बड़ा- बड़ा दावा ठोकने से नहीं चूकते तो दूसरी ओर भ्रष्ट कर्मचारी व अधिकारी अपने बड़े-बड़े पहुंच को लेकर सरकारी धन का बंदरबांट करने से भी नहीं हटते। कागजातों का खानापूर्ति कर मानक के विपरीत भवनों का निर्माण करना मानव इन भ्रष्ट कर्मचारियों के लिए एक खिलौना साबित हो रहा है ।कैसे जेई साहब इसे मंजूरी दे देते हैं ।कितना पैसा लेकर भवनों को पास कर दिया जाता है ।जबकि उनके मन में यह सोच नहीं होता कि जिस भवन को हम मंजूरी दे रहे हैं। कहीं यह भवन किसी बच्चे का जीवन का अंत न कर दे ।क्या इन महोदय के बच्चे भी शायद इस विद्यालय में यदि अध्ययन करते तो वह इसे मंजूरी दे देते ।इस ब्लॉक में जे ई साहब का यह घिनौना खेल कब तक चलेगा सोचने का विषय है! कौन करेगा इन भ्रष्ट अधिकारियों व देकेदार व कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही कैसे खत्म होगा यह घिनौना भ्रष्टाचार का खेल। यह प्रश्न सभी समाजसेवियों व ग्रामीणों के बीच हमेशा बनी रहती है ।एक सरकार जाती है तो जनता दूसरे सरकार पर अन्योंन भरोसा करके वोट देकर कि शायद इस बार भ्रष्टाचार पर लगाम या कुछ शिकंजा जा जा सकता है पर जनता का सपना एक सपना ही बना रह जाता है। इसी क्रम में क्राइम जंक्शन की टीम ने सर्च अभियान के तहत एक के बाद एक भ्रस्ट क्रियाकलापों को उजागर करने का प्रयास इन दिनों किया तो सामने कई वारदात का खेल देखने को मिला ! मालूम हो कि इससे पहले 10 नवंबर को प्रकाशित किए गए समाचार को पढ़ने के बाद अधिकारियों में हलचल मचा समाचार को संज्ञान में लिया गया परंतु जब तक इसका असर कुछ दिखाई दे उससे पहले क्राइम जंक्शन की टीम समाचार को ध्यान में रखते हुए अब आगे की कार्यवाही को बढ़ाया तो जो कुछ सामने आया वह नि:संदेह अधिकारियों के लिए एक शर्मनाक बात है ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस विद्यालय में एक अध्यापक ने जो कहानी टीम के सम्मुख बयां किया वास्तव में विद्यालय की बदहाली का एक जीता जागता बड़ा उदाहरण है बताते चलें कि प्राथमिक विद्यालय की समस्त भवन जर्जर हो गिरने की कगार पर हैं जो भवन 2003 -04 में निर्माण कराया गया उसकी छत की जर्जर स्थिति यह है कि छत में लगे सरिया साफ दिखते हैं कुछ स्थान से पानी भी रसा रहे हैं बरसात में बरसाती पानी से सराबोर हो जाता है कक्ष कभी भी अध्ययनरत बच्चे हो सकते हैं एक बड़े हादसे का शिकार पर अधिकारी रहते हैं मौन।
अध्यापन कार्य कर रहे एक सवाल के उत्तर में शिक्षक ने जानकारी दिया प्रत्येक शैक्षिक सत्र में दो बार कारवाही व स्थिति का लेखा-जोखा कार्यालयों को देना एक नियमावली है जिसके तहत भवनों का शुद्धिकरण कराई जा सके। पर प्रश्न यह भी उठता है कि अधिकारियों को जानकारी होने पर भी भवन में सुधार क्यों नहीं होता ।इतना ही नहीं बदहाली के कारण छात्र संख्या 120 तक ही सिमट कर रह गया है ।जिसमें कई बच्चे भी विद्यालय नदारत रहते ।मालूम हो कि जब अतिरिक्त कक्ष के जानकारी लेने की कोशिश की गई तो शिक्षक व बच्चों के अनुसार इस विद्यालय में तीन अतिरिक्त कक्ष का निर्माण कराया गया है ।जिनका निमार्णत समय मात्र अभी तो तीन ही वर्ष हुए हैं ।अध्यापक जी खुद इनके अंदर जाने से डरते हैं क्योंकि सभी कक्ष भ्रष्टाचारियों के परवान चढ चुका है ।छत जर्जर , दीवारें फट कर गिरने की कगार पर ,खिड़कियां नदारत फर्श टूटा हुआ। कभी भी सकता है एक बड़ा हादसा ।कौन होगा इस हादसे का जिम्मेदार । यही कुछ कारण है की बच्चे भी इस विद्यालय में पढाई से डरने लगे है क्योंकि 'जब जान है तभी जहां होगा ' जब जान ही नही तो जहां कैसे होगा। एक तरफ सरकार 'सब पढ़े ,सब बढ़े 'व' पढ़े बेटियां बढ़े बेटियां 'का नारा गांव गांव तक देती है । वही शिक्षको पर एड्मिसन को लेकर शिकंजा कसती है ।तो दूसरी ओर भवन की जर्जर अवस्था को लेकर अभिभावक में असंतोष की लहर फैली देखने को मिलता है। विदित हो कि जब संवाददाता ने कुछ अध्यनरत बच्चो को बुला कर जानकारी हासिल करने की कोसिस किया तो विद्यार्थी रोहित पुत्र रामगोपाल(4), करन पुत्र श्यामबिहारी(3), शीला पुत्री अमरिका, ननकऊ पुत्र छोटे लगायत दर्जनो बच्चो ने मिड- डे -मील न बनने की पुष्टि की ।जबकि समायोजित शिक्षक ध्यानप्रकाश का कहना है कि आवश्यक सामग्री न मिलने के कारण मिड डे मील नही बन सका है।
ज्ञात हो कि इससे पहले कुछ माह पूर्व मेहीपुरवा ब्लॉक में एक प्राइवेट निजी विद्यालय की भवन जर्जर होने की स्थिति से छत ढहने के कारण कई बच्चे गंभीर रूप से जख्मी हो चुके है। जिनका इलाज अभी भी चल रहा है। क्या यह भी जिम्मेदार उसी हादसे को न्योता देने में तुले है। ज्ञात हो कि ग्रामीणों ने कई बार इसकी लिखित शिकायत भी की पर बेपरवाह अधिकारी संबंधित भरस्टाचारी व जिम्मेदार लोगो के खिलाफ कार्यवाही करती नही दिखी। गौरतलब हो कि हमारे पहली खबर छपने के बाद अधिकारियों के संज्ञान में आया अतिरिक्त कक्ष की स्थिति तो दूसरी ख़बर छपने के बाद क्या अधिकारियों के कानों में रेंगेगा जू ! आज भी हमारे क्षेत्र के कई ऐसे सरकारी विद्यालय है जिनका भवन का है बुरा हाल विद्यार्थी कभी भी हो सकते है हादसे का शिकार पर जिम्मेदार क्यो रहते है बेखबर। संबंधित अभिभावको में बना रहता है हमेशा डर ।घर बच्चो की वापसी व सलामती की बनी रहती है चिंता का विषय। केवल इस विद्यालय की ही नही विकाशखण्ड में कई ऐसे है सरकारी विद्यालय के भवन का हाल इससे तरह जर्जर है। कागजातों पर ही होती है भवन निर्माण की कार्यवाही घर बैठे ही हो जाता है पेमेंट खामियाजा भुगतते है संबंधित ग्रामपंचायत अभिभावक व विद्यार्थी। कब खत्म होगा यह भरस्टाचार्य का घिनौना खेल, कौन है इस कृत्य भ्रस्ट कार्यशैली का जिम्मेदार,क्यो नही होती दोषी के खिलाफ कार्यवाही, कैसे मिल जाते है संबंधित ढेकेदार को पेमेंट, क्या करते है जेई साहब क्यो नही हुआ अभी तक इनके खिलाफ कार्यवाही आदि अनेको अनेक प्रसन ग्रामीणों व सामाजिक प्रतिनिधियों के मन को असंतोष होता है जब देखने को मिलता है इस तरह के जर्जर भवन की स्थिति।
क्या कहते है खण्ड शिक्षा अधिकारी बलदेव यादव
इलेक्शन की ब्यस्तता के कारण अभी जांच की स्तर पर कोई कार्य नही कराया जा सकता। क्राइम जंक्शन में खबर छपने के बाद मुझे विद्यालय की अतिरिक्त कक्ष की स्थिति का अंदाजा हुआ है इलेक्शन के बाद ब्यस्तता खत्म होने के पस्चात जांच कर संबंधित दोषी के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।
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